सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी जीआर की वैधता कायम रखी

याचिका खारिज सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी जीआर की वैधता कायम रखी

Anita Peddulwar
Update: 2022-11-26 09:21 GMT
सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी जीआर की वैधता कायम रखी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। देश के सर्वोच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र राज्य वडार समाज संघ की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसके तहत राज्य सरकार ने वर्ष 2011 के जीआर निकाल कर ग्राम पंचायतों के अधीन आने वाली खुली सरकारी जमीन पर अतिक्रमण हटाने का फैसला लिया था। दरअसल राज्य सरकार ने साल 2011 में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद फैसला लिया था कि राज्य में जिस सरकारी बंजर जमीन या चारे वाली जमीन पर अतिक्रमण हुआ होगा, उसे तत्काल प्रभाव से हटा दिया जाएगा। इसमें स्थानीय ग्राम पंचायत, नगर परिषद की मदद से अतिक्रमण विरोधी कार्रवाई की जाएगी।
अवैध घोषित नहीं कर सकते
दरअसल सर्वोच्च न्यायालय ने जसपाल सिंह फैसले में ऐसी जमीन पर मवेशी चराना प्रतिबंधित करके उसे सार्वजनिक उपयोग में लाने का आदेश जारी किया था। याचिकाकर्ता के अनुसार उनके समुदाय के लोग पारंपरिक रूप से पत्थर तोड़ने का काम करते हैं। ऐसे में सरकारी नियमों के तहत वडार समुदाय के लोगों को नि:शुल्क रूप से 200 ब्रास पत्थर निकाल सकते हैं। ऐसे में उन्हें इस सरकारी जीआर से आपत्ति है, लेकिन मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने माना कि उक्त नियमों के तहत वडार समुदाय को 200 ब्रास पत्थर निकालने की अनुमति है, लेकिन केवल निजी या ऐसी सरकारी जमीन से जो विशेष उपयोग के लिए आरक्षित न हो। ऐसे में राज्य सरकार के जमीन संबंधी जीआर को अवैध घोषित नहीं किया जा सकता। इस निरीक्षण के साथ सर्वोच्च न्यायालय ने याचिका खारिज कर दी है।
 

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