नागपुर यूनिवर्सिटी के इनडोर स्टेडियम का प्रस्ताव रद्द

 नागपुर यूनिवर्सिटी के इनडोर स्टेडियम का प्रस्ताव रद्द

Anita Peddulwar
Update: 2021-01-14 10:34 GMT
 नागपुर यूनिवर्सिटी के इनडोर स्टेडियम का प्रस्ताव रद्द

डिजिटल डेस्क, नागपुर। राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय की इनडोर स्टेडियम की बहुप्रत्याशित योजना को तगड़ा झटका लगा है। केंद्रीय युवा मामलों व खेल मंत्रालय ने इस प्रकल्प के लिए दी गई 1 करोड़ 80 लाख रुपए की निधि  यूनिवर्सिटी से वापस मांग ली है। मंत्रालय ने साफ किया है कि यूनिवर्सिटी ने यह प्रकल्प शुरू करने में अत्यधिक देरी कर दी है। पंचवर्षीय योजना के तहत दी गई इस निधि को उपयोग की अवधि निकल चुकी है। नागपुर यूनिवर्सिटी ने भी इस पर घुटने टेकते हुए सार्वजनिक निर्माणकार्य विभाग को पत्र लिख कर अपनी रकम वापस मांग ली है। विभाग से निधि वापस लेकर यूनिवर्सिटी मंत्रालय को रकम लौटाने जा रहा है। हाल ही में यूनिवर्सिटी  के एम्फिथिएटर के प्रस्ताव को भी राज्य सरकार ने रेड सिग्नल दिखाया है। अब यूनिवर्सिटी को दूसरा बड़ा झटका लगा है। 

कई बार दी थी चेतावनी 
उल्लेखनीय है कि शहर के लॉ कॉलेज चौक पर नागपुर नागपुर विश्वविद्यालय 33 करोड़ की लागत से भव्य इनडोर स्टेडियम बनाने वाला था। इसके लिए सार्वजनिक निर्माणकार्य विभाग के पास रकम भी जमा कर दी गई थी, लेकिन कार्य शुरू न होने से यूनिवर्सिटी वर्ग में भारी असंतोष था। केंद्रीय मंत्रालय ने दो से तीन बार नागपुर यूनिवर्सिटी को निधि वापस लेने की चेतावनी दी थी। आखिरकार कुछ दिनों पूर्व मंत्रालय ने यूनिवर्सिटी को पत्र लिख कर अपना फैसला सुना दिया है। 

विभाग की देरी
कवि कुलगुरु कालिदास संस्कृत यूनिवर्सिटी के कुलगुरु डॉ.श्रीनिवास वरखेडी द्वारा सार्वजनिक निर्माणकार्य विभाग के सुस्त कामकाज पर आपत्ति ली गई थी। संस्कृत यूनिवर्सिटी  के एक निर्माणकार्य को पूरा करने में देरी होने के कारण डॉ.वरखेड़ी ने तो अनशन की चेतावनी दी थी, लेकिन नागपुर यूनिवर्सिटी के लिए तो विभाग की लेटलतीफी खासी महंगी साबित हुई है।

फंड वापस मांगा गया है
केंद्रीय युवा व खेल मंत्रालय ने हाल ही में पत्र लिख कर हमें इनडोर स्टेडियम के लिए भेजी गई निधि वापस मांगी है। हमने पीडब्ल्यूडी को पत्र लिख कर रकम वापस मांगी है। उनसे रकम मिलते ही मंत्रालय को निधि लौटा दी जाएगी। यूनिवर्सिटी  की एक बहुप्रत्याशित योजना का इस तरह रद्द हो जाना दु:खद है।  -डॉ.सुभाष चौधरी, कुलगुरु नागपुर यूनिवर्सिटी 

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