दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग में NIA की छापेमारी, ISIS से संबंध रखने के मामले में 6 गिरफ्तार

दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग में NIA की छापेमारी, ISIS से संबंध रखने के मामले में 6 गिरफ्तार

Bhaskar Hindi
Update: 2021-07-11 05:05 GMT
दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग में NIA की छापेमारी, ISIS से संबंध रखने के मामले में 6 गिरफ्तार

डिजिटल डेस्क, श्रीनगर। राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग समेत कई जगहों पर छापेमारी की है। आतंकी संगठन ISIS से संबंध के आरोप में NIA ने 6 लोगों को गिरफ्तार किया है। जिनमें से एक व्यक्ति को श्रीनगर और बाकी पांच लोगों को अनंतनाग में अलग-अलग इलाकों से गिरफ्तार किया गया। न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक ये 6 लोग भारत से अफगानिस्तान जाने की फिराक में थे। 

इसके अलावा NIA ने दारुल उलूम इंस्टीट्यूट पर भी छापेमारी की। जांच एजेंसी ने यहां से लैपटॉप समेत कई दस्तावेज जब्त किए हैं। दारुल उलूम इंस्टीट्यूट के चेयरमैन को भी हिरासत में लिया गया है। बता दें कि ठीक एक दिन पहले शनिवार को जम्मू-कश्मीर की सरकार ने हिजबुल मुजाहिदीन प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन के दो बेटों और दो पुलिस कांस्टेबलों सहित 11 सरकारी कर्मचारियों को उनके कथित आतंकी संबंधों के लिए बर्खास्त कर दिया है।

बर्खास्त किए गए 11 कर्मचारियों में से 4 अनंतनाग, 3 बडगाम, 1-1 बारामूला, श्रीनगर, पुलवामा और कुपवाड़ा से हैं। इनमें से 4 शिक्षा विभाग में, 2 जम्मू-कश्मीर पुलिस में और 01-01 कृषि, कौशल विकास, बिजली, शेरे कश्मीर अस्पताल और स्वास्थ्य विभाग में तैनात थे। सूत्रों ने दावा किया कि वह सुरक्षा बलों की गतिविधियों के बारे में आतंकवादियों को जानकारी देते थे और उन्हें पनाह भी देते थे।

जम्मू-कश्मीर में संदिग्ध गतिविधि में शामिल कर्मचारियों की धरपकड़ के लिए सरकार ने टास्क फोर्स का गठन किया था। संविधान के अनुच्छेद 311 (2) (C) के तहत पास ऑर्डर से सरकार को अधिकार है कि किसी भी सरकारी कर्मचारी को बिना जांच कमेटी का गठन किए बर्खास्त किया जा सकता है। टास्क फोर्स में पुलिस, कानून और न्याय, विधायी विभाग के प्रतिनिधि शामिल होते हैं। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में आतंक के समर्थन कुछ और कर्मचारियों पर कड़ी कार्रवाई हो सकती है। ताकि आतंकियों को मिलने वाली मदद के नेटवर्क को भी जल्द ध्वस्त किया जा सके।

जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने पिछले साल जम्मू-कश्मीर सेवा विनियमन नियमों में संशोधन किया था और किसी भी सरकारी कर्मचारी को बिना किसी पूर्व सूचना के बर्खास्त करने की शक्ति ग्रहण की थी। अगर ऐसे कर्मचारी के राष्ट्र विरोधी या उग्रवादी गतिविधियों में लिप्त होने का सबूत पाया जाता है तो, उनके पास यह शक्ति है कि वह उन्हें तुरंत प्रभाव से बर्खास्त कर सकें।

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