महारेरा के तहत फ्लैट स्कीम का ही नहीं, ले-आउट्स का भी रजिस्ट्रेशन अनिवार्य

महारेरा के तहत फ्लैट स्कीम का ही नहीं, ले-आउट्स का भी रजिस्ट्रेशन अनिवार्य

Anita Peddulwar
Update: 2018-03-21 06:26 GMT
महारेरा के तहत फ्लैट स्कीम का ही नहीं, ले-आउट्स का भी रजिस्ट्रेशन अनिवार्य

डिजिटल डेस्क,नागपुर। बड़े ले आउट पर नजर रखते हुए महारेरा ने आंखें तरेरनी शुरू कर दी है। महाराष्ट्र रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (महारेरा) एक्ट के तहत फ्लैट स्कीम का ही नहीं, ले-आउट्स का भी रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है। 65 वर्ग मीटर तक के ले-आउट्स को ही इससे राहत है। इससे बड़े  ले-आउट्स के लिए महारेरा का नियम पालन अनिवार्य है। इसे सख्ती से लागू कराने के लिए अब महारेरा ले-आउट धारकों का खाका तैयार कर रहा है। रिकार्ड राजस्व, नगर रचना विभाग और उप-निबंधक से लेकर इसकी जानकारी मुंबई स्थित मुख्यालय तक को भेजी जाएगी। दायरे में आने वाले जिन ले-आउट धारकों ने महारेरा के तहत पंजीयन नहीं कराया है, उनके खिलाफ नागपुर स्थित बेंच में सुनवाई होगी। महारेरा के तहत दंड का प्रावधान 2 लाख तक हो सकता है। 

एनआईटी व एनएमसी के साथ महारेरा की रजिस्ट्रेशन जरूरी
जानकारी के अनुसार, 1 मई 2017 से लागू महारेरा कानून के धारा -3 के तहत 8 फ्लैट से अधिक और 65 वर्ग मीटर से ज्यादा आकार वाले ले-आउट धारकों को महारेरा के तहत  पंजीयन कराना अनिवार्य है।  इसके बगैर उनकी बिक्री तक नहीं की जा सकती। नए ले-आउट्स को पहले मनपा या एनआईटी मेें पंजीयन कराना अनिवार्य है, इसके बाद उसे महारेरा एक्ट के तहत पंजीयन कराया जा सकता है। मतलब साफ है कि अब  जिस ले-आउट धारक के पास महारेरा का पंजीयन नंबर होगा, उसी के प्लॉट वैध माने जाएंगे।  

क्या करता है प्राधिकरण
बता दें कि महारेरा के तहत ले-आउट और फ्लैट स्कीम खरीदारों को धोखाधड़ी से बचाने के लिए राज्य सरकार की ओर से यह नियामक प्राधिकरण तैयार किया गया है। इसके तहत स्कीम धारकों को फ्लैट स्कीम निर्माण के दौरान फ्लैट बुक करनेवालों से ली गई रकम का अलग से खाता बनाना पड़ता है। यही नहीं, उसका हिसाब-किताब भी प्राधिकरण को देना होता है। स्कीम से जुड़े लोगों को कोई समस्या या शिकायत होने पर प्राधिकरण में शिकायत करने की छूट है। प्राधिकरण में सुनवाई के लिए तीन खंडपीठों का गठन किया है। 

Similar News