अजजा के राष्ट्रीय आयोग का सीबीआईटीएस को नोटिस

अजजा के राष्ट्रीय आयोग का सीबीआईटीएस को नोटिस

Anita Peddulwar
Update: 2020-02-17 08:27 GMT
अजजा के राष्ट्रीय आयोग का सीबीआईटीएस को नोटिस

डिजिटल डेस्क, नागपुर। अनुसूचित जनजाति के राष्ट्रीय आयोग ने केन्द्रीय अप्रत्यक्ष बोर्ड एवं कस्टम (सीबीआईटीएस) को नोटिस देकर जीएसटी के अधीक्षकों की तत्काल सेवा समाप्त करने के मामले में जबाव मांगा है। वर्ष 2019 में नागपुर के 2 अधीक्षकों सहित 8 अधीक्षकों को कार्यालय पहुंचने पर 3 माह के वेतन का चेक देकर सेवा समाप्त करने का नोटिस थमा दिया था। मामले की शिकायत 23 अगस्त-2019 में अनुसूचित जनजाति के राष्ट्रीय आयोग से की गई थी। इस मामले में अब आयोग ने सीबीआईटीएस को नोटिस देकर जबाव मांगा है। 

यह था मामला
केन्द्रीय अप्रत्यक्ष बोर्ड एवं कस्टम ने भोपाल जोन के 8 अधीक्षकों की तत्काल सेवा समाप्त कर दी थी। इसमें 2 अधीक्षक केके उइके और एसआर पराते नागपुर के थे। यह कार्रवाई धारा 56 (जे) के तहत की गई थी। मामले को लेकर बताया गया था कि, वर्ष 2011 में इंदौर में रेड के दौरान की कुछ गड़बड़ी सामने आई थी। जिसकी चार्जशीट वर्ष 2016 में दी गई थी और वर्ष 2018 में जांच अधिकारी को जांच का जिम्मा सौंपा गया था। जांच रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा था। इसी बीच 8 अधीक्षकों की तत्काल सेवा समाप्त करने का निर्णय लया गया।

नागपुर के दोनों अधीक्षक हमेशा की तरह उस दिन भी कार्यालय पहुंचे, तब आयुक्त ने उन्हें 3 माह का चेक व आदेश की कॉपी देकर घर जाने का आदेश दिया था, जिससे कार्यालय में हड़कंप मच गया था। मामले में नागपुर के 2, इंदौर के 5 और रायपुर के 1 अधीक्षक की सेवा को समाप्त कर दिया गया था। मामले की शिकायत ऑल इंडिया फेडेरेशन ऑफ कस्टम्स सेंट्रल एक्साइज एंड जीएसटी एससी/एसटी इम्प्लॉई वेलफेयर ऑर्गनाईजेशन के अधीक्षक संजय थूल ने अनुसूचित जनजाति के राष्ट्रीय आयोग से शिकायत की थी।

बिना अनुमति पशु पालने पर मालिक के खिलाफ प्रकरण दर्ज
पशु के मालिक के खिलाफ मानकापुर थाने में प्रकरण दर्ज किया गया है। आरोप है कि, वह निवासी क्षेत्र में पशुओं को खुला छोड़ देता था, जिससे नागरिकों के परेशानी होती थी। आरोपी हेमंत रामभाऊ आरेकर (31), जुनघरे ले-आउट, श्रीनगर निवासी है। हेमंत के पास पालतू करीब 20 पशु हैं। इन पशुओं को वह दोपहर में बस्ती में खुला छोड़ देता था। यह पशु बस्ती में घूमने तथा सड़क पर बैठने से यातायात जाम की समस्या आए दिन खड़ी हो रही थी।

उल्लेखनीय है कि इन लावारिस पशुओं के कारण कई बार जानलेवा हादसे भी हो चुके हैं। ताजा मामले में शिकायत मिलने के बाद पुलिस ने हेमंत को नोटिस जारी कर कहा था कि, वह पशुओं को पालने की अनुमति दिखाए। साथ ही पशुओं को यूं खुला न छोड़ें। बावजूद हेमंत लापरवाही बरत रहा था। आखिरकार पुलिस ने उसके खिलाफ सख्त कदम उठाते हुए शनिवार को मानकापुर थाने में उसके खिलाफ बगैर अनुमति पशु पालने का मामला दर्ज किया। संभवत शहर पुलिस के इतिहास में यह पहला मामला है। 

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