राज्य सरकार क्यों नहीं तय कर रही दूध के रेट,आयुक्त पशुपालन सेवा और जबलपुर कलेक्टर को नोटिस

राज्य सरकार क्यों नहीं तय कर रही दूध के रेट,आयुक्त पशुपालन सेवा और जबलपुर कलेक्टर को नोटिस

Bhaskar Hindi
Update: 2019-03-12 08:06 GMT
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डिजिटल डेस्क,जबलपुर। हाईकोर्ट ने राज्य शासन के खाद्य व नागरिक आपूर्ति विभाग के सचिव,आयुक्त पशुपालन सेवा और जबलपुर कलेक्टर को नोटिस जारी कर पूछा है कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी राज्य सरकार द्वारा दूध के रेट क्यों नहीं तय किए जा रहे है। जस्टिस आरएस झा और जस्टिस संजय द्विवेदी की युगल पीठ ने अनावेदकों से चार सप्ताह में जवाब-तलब किया है।

नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के डॉ. पीजी नाजपांडे और डॉ. एमए खान की ओर से दायर जनहित याचिका में कहा गया कि उन्होंने मार्च 2003 में हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर दूध को आवश्यक वस्तु अधिनियम में शामिल कर दूध के रेट निर्धारित करने का अनुरोध किया था। हाईकोर्ट ने इस निर्देश के साथ याचिका का निराकरण कर दिया था कि उनके अभ्यावेदन पर सरकार विचार करें। राज्य सरकार ने 24 अगस्त 2006 को आदेश जारी कर कहा कि दूध को आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत शामिल नहीं किया जा सकता है। राज्य सरकार के इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। हाईकोर्ट ने 7 जनवरी 2007 को फैसला दिया कि दूध आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत आता है। इसलिए राज्य सरकार दूध के रेट तय करें। हाईकोर्ट के आदेश पर राज्य सरकार ने 13 अप्रैल 2007 को दूध के रेट 18 रुपए प्रति लीटर तय कर दिए। इस आदेश के खिलाफ डेयरी संचालकों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की गई। डेयरी संचालकों की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी। सुनवाई के दौरान हाजिर नहीं होने पर 11 मई 2016 को डेयरी संचालकों की याचिका खारिज कर दी गई।

पहले रेट तय किए, फिर लिया आदेश वापस
सुप्रीम कोर्ट से डेयरी संचालकों की याचिका खारिज होने के बाद जबलपुर के तत्कालीन कलेक्टर महेशचंद चौधरी ने 3 फरवरी 2017 को दूध के रेट 44 रुपए प्रति लीटर तय कर दिए। डेयरी संचालकों ने इस आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की। हाईकोर्ट ने डेयरी संचालकों की याचिका खारिज कर दी। सुप्रीम कोर्ट ने डेयरी संचालकों की याचिका पर नोटिस जारी किया, लेकिन स्टे नहीं दिया। इसी दौरान जबलपुर कलेक्टर ने 17 अप्रैल 2017 को दूध के रेट तय करने का आदेश वापस ले लिया। इसके आधार पर डेयरी संचालकों ने सुप्रीम कोर्ट से अपनी याचिका वापस ले ली।

सुप्रीम कोर्ट ने किया याचिका का निराकरण
डेयरी संचालकों ने सुप्रीम कोर्ट से उस याचिका को फिर से पुर्नजीवित करा लिया, जो याचिका 11 मई 2016 को अनुपस्थिति के कारण खारिज कर दी गई थी। 4 दिसंबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने याचिका का निराकरण करते हुए कहा कि दूध के रेट वर्ष 2007 में 18 रुपए प्रति लीटर तय किए गए थे, इतने समय बाद इस याचिका की सुनवाई का कोई औचित्य नहीं है। अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय, मनीष त्रिवेदी और शांति तिवारी ने तर्क दिया कि 7 जनवरी 2007 का हाईकोर्ट का आदेश प्रभावशील है। इसके आधार पर राज्य सरकार को दूध के रेट तय करना चाहिए। सुनवाई के बाद युगल पीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब-तलब किया है।

 

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