अब मंडी के बाहर किसान नहीं बेच सकेंगे प्याज, मंडी फीस में की गई कमी
अब मंडी के बाहर किसान नहीं बेच सकेंगे प्याज, मंडी फीस में की गई कमी
डिजिटल डेस्क, भोपाल। राज्य सरकार ने किसानों को प्याज की फसल कृषि उपज मंडियों से बाहर बेचने की छूट खत्म कर दी है। इसके अलावा कृषि मंडी में प्याज की फसल बेचने पर दो रूपए के स्थान पर एक रूपए प्रति सैकड़ा मंडी शुल्क लगेगा। गौरतलब है कि प्याज कृषि मंडी अधिनियम 1972 के तहत अधिसूचित फसल है। पहले इसे सिर्फ कृषि मंडी में ही बेचा जा सकता था। इस पर दो रूपए प्रति सैकड़ा मंडी फीस निर्धारित की गई थी, जो मंडी में व्यापारी द्वारा प्याज की उपज खरीदने पर लगती थी। परन्तु वर्ष 2012 में अधिनियम में संशोधन कर यह प्रावधान कर दिया गया था कि किसान चाहे तो कृषि उपज मंडी के बाहर फूड प्रसंस्करण उद्योगों, निर्यातकों आदि को भी प्याज की उपज बेच सकेगा परन्तु बाहर बेची जाने वाली प्याज की उपज पर मंडी फीस नहीं लगेगी।
इधर प्याज के दाम बहुत नीचे गिरने की प्रवृत्ति देख राज्य सरकार ने इस साल से प्याज को भावांतर योजना के अंतर्गत ला दिया है। इस योजना के तहत आगामी 16 मई से 30 जून तक और 1 अगस्त से 31 अगस्त तक प्याज की खरीदी कृषि उपज मंडियों में होगी तथा कृषि मंडी के बाहर प्याज की उपज की खरीदी नहीं होगी। ऐसा इसलिए किया गया है कि फूड प्रोसेसिंग इकाईयां और निर्यातक किसानों से अत्यंत कम दाम पर प्याज की उपज की खरीदी न कर सकें। इसके अलावा अब कृषि उपज मंडी में प्याज की फसल बेचने पर मंडी शुल्क दो रूपए के स्थान पर एक रुपया ही लगेगा। ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि कृषि मंडी में व्यापारी किसान से उसकी प्याज की उपज खरीदते वक्त मंडी फीस की राशि कम कर देता है जिससे किसानों को घाटा होता है।
अब व्यापारी किसान से एक रुपया कम कीमत पर ही प्याज की उपज खरीद सकेगा। इस साल के लिये राज्य सरकार ने प्याज का समर्थन मूल्य 800 रूपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया है जबकि मॉडल रेट अभी तय नहीं किए हैं। यदि कृषि उपज मंडियों में व्यापारी प्याज की उपज 800 रूपए प्रति क्विंटल से कम पर क्रय करते हैं तो अंतर की राशि का भुगतान राज्य सरकार भावांतर योजना के तहत किसानों को करेगी।
आनलाईन कृषि उपज बेचने पर लगेगा कम मंडी शुल्क
इधर राज्य सरकार ने अधिसूचित कृषि उपजों जिनमें प्याज भी शामिल है, को भारत सरकार के राष्ट्रीय कृषि बाजार पोर्टल पर आनलाईन बेचने पर मंडी शुल्क कम करने का प्रावधान कर दिया है। इन अधिसूचित कृषि उपजों को उक्त पोर्टल पर बेचने पर उसे खरीदने वाले व्यापारियों को दो रूपए के स्थान पर डेढ़ रुपया प्रति सैकड़ा मंडी फीस अदा करनी होगी।
मंडी बोर्ड का दर्द
इधर प्याज की उपज पर मंडी फीस दो रूपए के स्थान पर एक रुपया करने और आनलाईन विक्रय पर डेढ़ रूपए मंडी फीस करने पर राज्य कृषि विपणन बोर्ड नाखुश है, क्योंकि इस फीस से ही वह अपना काम चलाता है और नए काम करता है। कृषि उपज मंडियों में प्याज की उपज की खरीदी पर आने वाले एक रुपया मंडी फीस में से अब पचास प्रतिशत राशि किसान सड़क निधि एवं कृषि अधोसंरचना विकास निधि में भी देय नहीं होगी।
इनका कहना है
‘उद्यानिकी विभाग ने प्याज की खरीदी को भावांतर योजना में क्रय करने का प्रावधान किया है। इसीलिये प्याज की खरीदी कृषि उपज मंडियों से बाहर बेचने पर प्रतिबंध लगाया गया है तथा मंडी फीस भी दो रूपए के स्थान पर एक रुपया प्रति सैकड़ा तय की गई है।’
- अजय सेंगर अपर संचालक राज्य मंडी बोर्ड भोपाल