राजनीतिक दलों के चुनाव चिह्नों के एकाधिकार पर कोर्ट में याचिका दायर

राजनीतिक दलों के चुनाव चिह्नों के एकाधिकार पर कोर्ट में याचिका दायर

Anita Peddulwar
Update: 2018-10-04 06:23 GMT
राजनीतिक दलों के चुनाव चिह्नों के एकाधिकार पर कोर्ट में याचिका दायर

डिजिटल डेस्क, नागपुर। देश में कई दशकों से बड़े राजनीतिक दलों के लिए आरक्षित चुनाव चिह्नों पर बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में दायर जनहित याचिका में आपत्ति उठाई गई है। दलील है कि वर्षों तक अगर किसी राजनीतिक दल के पास एक ही चुनाव चिह्न रहे, तो वह चुनाव चिह्न उस दल का ब्रांड लोगो बन जाता है। मतदाताओं की स्मृति मेें अंकित हो जाने के कारण अन्य उम्मीदवारों को तरजीह नहीं मिल पाती। इसके कारण चुनावी प्रक्रिया असंतुलित बनी रहती है। याचिकाकर्ता मृणाल चक्रवर्ती की याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई, जिसमें याचिकाकर्ता का पक्ष सुनकर हाईकोर्ट ने प्रतिवादी चुनाव आयोग और केंद्रीय विधि व न्याय मंत्रालय को नोटिस जारी कर 22 अक्टूबर तक जवाब मांगा है। इस याचिका में कोर्ट से विनती की गई है कि वे वर्तमान में किन्ही खास राजनीतिक दलों के लिए आरक्षित चुनाव चिह्नों पर अगले 20 वर्ष के लिए रोक लगा दे। इसी तरह चुनाव आयोग द्वारा आयोजित चुनाव चिह्नों के आवंटन की प्रक्रिया पर स्थगन लगा दें। मामले में याचिकाकर्ता ने स्वयं अपना पक्ष रखा। केंद्र की ओर से एड. उल्हास आैरंगाबादकर और चुनाव आयोग की ओर से एड. नीरजा चौबे ने पक्ष रखा।

यह है तर्क
याचिकाकर्ता के अनुसार राजनीतिक दलों को मान्यता प्राप्त और गैर मान्यता प्राप्त श्रेणियों में विभाजित करने की चुनाव आयोग की नीति ही बुरी आैर गैर संवैधानिक है। मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल के उम्मीदवारों को दलों के लिए आरक्षित चुनाव चिह्न मिलते हैं, जबकि अन्य उम्मीदवारों को अनारक्षित चुनाव चिह्न दिए जाते हैं। ऐसे में जो चुनाव चिह्न किन्ही खास राजनीतिक दलों के पास कई वर्ष से हैं, वे चुनाव चिह्न उस राजनीतिक दल के ब्रांड लोगो बन जाते हैं, जिसके कारण उन राजनीतिक दलों को विशेष लाभ मिलता है, जबकि अन्य उम्मीदवारों को चुनाव के 15 दिन पहले चुनाव चिह्न मिलता है। मतदाताओं की स्मृति में नए चुनाव चिह्न कोई खास घर नहीं कर पाते, जिसके कारण चुनाव एक तरीके से असंतुलित होते हैं। दी रिप्रेजेंटेशन ऑफ पिपल्स एक्ट के अनुसर मतदाता उम्मीदवारों को चुनते हैं न कि राजनीतिक दलों को। संविधान के आर्टिकल 99, 100, 188 और 189 में भी जनप्रतिनिधियों को महत्व दिया गया है न कि राजनीतिक दलों को। चुनाव के दौरान मतपत्र या ईवीएम पर उम्मीदवार के नाम और उनका चुनाव चिह्न अंकित होता है। याचिका में प्रार्थना है कि वे सभी चुनावी उम्मीदवारों को एक साथ चुनाव चिह्न आवंटित करें। एक ही राजनीतिक दल के टिकट पर अलग-अलग मतदाता क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों के लिए अलग अलग चुनाव चिह्न हों। 

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