महाराष्ट्र के वोटर्स ने तेलंगाना चुनाव में डाले वोट, सीमा से सटे हैं 14 गांव

महाराष्ट्र के वोटर्स ने तेलंगाना चुनाव में डाले वोट, सीमा से सटे हैं 14 गांव

Tejinder Singh
Update: 2018-12-07 17:12 GMT
महाराष्ट्र के वोटर्स ने तेलंगाना चुनाव में डाले वोट, सीमा से सटे हैं 14 गांव

डिजिटल डेस्क, चंद्रपुर। जिले के आदिवासी इलाकों के 14 गांव में रहने वाले वोटर्स ने तेलंगाना चुनाव में वोट डाला है। यह आदिवासी गांव तेलंगाना की सीमा से सटे हैं। जिवती तहसील के 14 गांवों इस वोटिंग में शामिल हो गए। 7 दिसंबर को वोटिंग हुई थी। दोहरे मतदान के लिए सुर्खियों में आए इस जिले के गांव मुकादमगुडा, परमडोली, परमडोली (तांडा), कोठा, लेंडीजाला, महाराजगुडा, शंकरलोधी, पद्मावती, अंतापुर, इंदिरानगर, येसापुर, पलसगुडा, भोलापठार और लेंडीगुडा गांवों के नागरिकों ने तेलंगाना के प्रत्याशियों के लिए मतदान किया। जो सुबह 7 बजे से शुरु हुआ।

आपको बता दें सुप्रीम कोर्ट ने इन 14 गांवों को महाराष्ट्र का हिस्सा बताया था। जो महाराष्ट्र सरकार और राज्य की हद में आते हैं। 1955-56 के पहले राज्य पुनर्गठन नीति के तहत महाराष्ट्र के दायरे में यह गांव बसे हैं, लेकिन तेलंगाना सरकार ने इन गांवों को अपने नक्शे में शामिल किया है। जिसके चलते चुनाव में महाराष्ट्र के गांवों ने भी हिस्सा लिया।

बताया जा रहा है कि सुविधाओं के अभाव में यहां के लोग खेती-किसानी कर अपना गुजारा करते हैं। 1965-70 से इन गांवों को महाराष्ट्र में मतदान करने का अधिकार मिला है। इसी के चलते महाराष्ट्र सरकार ने यहां अपनी योजनाएं लाई। नतीजा 17 जुलाई 1997 को सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय लेते हुए विवादित 14 गांव महाराष्ट्र सरकार के होने की बात स्पष्ट की थी। लेकिन गांववालों का कहना है कि इलाके के विकास की योजनाओं पर अमल करने में महाराष्ट्र सरकार विफल रही। 

इन गांव के बाशिंदों का लगाव तेलंगाना की ओर झुक रहा है। जिसका फायदा उठा कर पहले आंध्र प्रदेश और अब नवनिर्मित तेलंगाना सरकार ने इन 14 गावोंं में अपनी योजनाएं शुरू की है इस तरह लोगों को लुभाया जा रहा हैं। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को 21 साल पूरे हो गए हैं, लेकिन तेलंगाना सरकार उन गांवोंं से कब्जा छोडने को तैयार नहीं है। अब तो यह गांव तेलंगाना के राज्य नक्शे पर भी शामिल हैं।

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