मध्यप्रदेश के जाति प्रमाण पत्र पर महाराष्ट्र में ली नौकरी, हाईकोर्ट से राहत नहीं

मध्यप्रदेश के जाति प्रमाण पत्र पर महाराष्ट्र में ली नौकरी, हाईकोर्ट से राहत नहीं

Tejinder Singh
Update: 2018-09-20 12:45 GMT
मध्यप्रदेश के जाति प्रमाण पत्र पर महाराष्ट्र में ली नौकरी, हाईकोर्ट से राहत नहीं

डिजिटल डेस्क, मुंबई। मध्य प्रदेश सरकार द्वारा जारी अनुसूचित जनजाति (एसटी) जाति प्रमाण पत्र के आधार पर महाराष्ट्र में एसटी के लिए आरक्षित पद पर नौकरी पाने वाले योगेश पाखले को बांबे हाईकोर्ट ने राहत देने से इंकार कर दिया है। इस दौरान हाईकोर्ट ने उस नियम पर गौर किया  जिसके तहत आरक्षित वर्ग को अपनी जाति से जुड़ा लाभ उसके मूल प्रदेश में ही मिल सकता है। पाखले को मध्य प्रदेश के भोपाल के उप विभागीय मैजिस्ट्रेट ने एसटी का प्रमाणपत्र जारी किया था।

इसके जरिए उन्होंने महाराष्ट्र में एसटी के लिए आरक्षित सिडको के सहायक इंजीनियर के पद पर नौकरी के लिए आवेदन किया और नौकरी हासिल कर थी। नियुक्ति के बाद मांगे जाने पर उन्होंने अपना जाति प्रमाणपत्र कोकण विभाग की जाति पड़ताल कमेटी के पास भेजा था। मामले से जुड़े तथ्यों पर गौर करने के बाद कमेटी ने पाया कि भोपाल के उप विभागीय मैजिस्ट्रेट ने हलबा जाति के आधार पर पाखले को एसटी का प्रमाणपत्र जारी किया है। महाराष्ट्र में भी हलबा एसटी जाति की श्रेणी में आती है। लेकिन नियमों के अनुसार आरक्षित वर्ग के शख्स को उसकी जाति से जुड़े लाभ उसके मूल राज्य में ही मिल सकते हैं। इस नियम के आधार पर कमेटी ने पाखले की ओर से जाति वैधता को लेकर किए गए दावों को अस्वीकार कर दिया। कमेटी के इस निर्णय के खिलाफ पाखले ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। 

न्यायमूर्ति आरएम सावंत व न्यायमूर्ति केके सोनवने की खंडपीठ के सामने याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान खंडपीठ ने भी उस नियम पर गौर किया जिसके तहत पाखले के दावे को अस्वीकार किया गया था। इसके बाद खंडपीठ ने जाति परीक्षण कमेटी के आदेश में हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया। हालांकि खंडपीठ ने सिडको को निर्देश दिया है कि वह आठ सप्ताह तक कमेटी के फैसले के आधार पर कोई निर्णय न ले और याचिका को खारिज कर दिया। 
 

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