नर्मदा नदी पर अब नहीं बनाए जाएंगे नए बड़े बांध

नर्मदा नदी पर अब नहीं बनाए जाएंगे नए बड़े बांध

Bhaskar Hindi
Update: 2018-04-07 06:01 GMT
नर्मदा नदी पर अब नहीं बनाए जाएंगे नए बड़े बांध

@संजय प्रकाश शर्मा, भोपाल। नर्मदा नदी पर अब नये बड़े बांध नहीं बनाये जायेंगे और इसके स्थान पर 29 लिफ्ट इरीगेशन परियोजनाओं के माध्यमों से वर्ष 2022 तक नर्मदा के जल का पूरा उपयोग कर लिया जायेगा। इस साल के आम बजट में नर्मदा नदी पर मध्यम और लघु सिंचाई परियोजनाओं को पूरा करने के लिये नर्मदा प्रोजेक्ट बेसिन कंपनी लिमिटेड को 300 करोड़ रुपयों का भारी भरकम बजट आंवटित कर पुनर्जीवित करने का प्रयास किया गया है परन्तु इस कंपनी की जरुरत महसूस नहीं होगी।

 

ज्ञातव्य है कि नर्मदा नदी की लम्बाई 1312 किलोमीटर है जिसमें से मप्र में यह 1077 किमी का सफर करती है। वर्ष 1979 में केंद्र सरकार के नर्मदा जल विवाद न्यायाधिकरण ने नर्मदा जल का तीन राज्यों में बंटवारा किया था जिसमें मप्र को 18.25, गुजरात को 9 तथा महाराष्ट्र को 0.25 मिलियन एकड़ फीट पानी मिला और इन तीनों राज्यों को 45 साल में यानि वर्ष 2024 तक अपने जल के हिस्से का उपयोग करने का आदेश दिया गया। मप्र ने अपने जल के हिस्से के उपयोग हेतु जुलाई 1981 में नर्मदा घाटी विकास विभाग बनाया और 16 जुलाई 1985 को नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण निर्मित किया। इसने अब तक 12.60 मिलियन एकड़ फीट जल का उपयोग विभिन्न बांध परियोजनाओं बनाकर कर लिया है। अब शेष 5.65 मिलियन एकड़ फीट जल के उपयोग हेतु उसने काम प्रारंभ कर दिया है। 

 

चूंकि अब देश में वर्ष 2013 से नया भू-अर्जन कानून लागू है जिसमें भूअर्जन के बाद पांच साल के अंदर उस भूमि का उपयोग करना होता है, इसलिये एनवीडीए ने बड़े बांध बनाने का काम त्याब दिया है तथा अमरकंटर, डिण्डौरी और नरसिंहपुर में बनाये जाने वाले बड़े बांध बनाने की परियोजनायें रद्द कर दी गई हैं। इसके स्थान पर उसने 29 लिफ्ट इरीेशन स्कीमें बनाई हैं तथा एक स्कीम मात्र एक-डेढ़ साल में पूरी हो रही हैं। इसके अंतर्गत न ही भूमि का अर्जन करना पड़ता है और न ही पुनर्वास जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऊंचाई वाली नहरों को भी इसी स्कीम से पानी भी दिया जा रहा है। 

 

राज्य सरकार के खजाने पर ज्यादा जोर न पड़े और बाजार से कर्ज लिया जा सके इसके लिये वर्ष 2011 में एनवीडीए ने नर्मदा प्रोजेक्ट बेसिन कंपनी लिमिटेड बनाई थी। इस कंपनी ने दो एजेन्सियों से नर्मदा परियोजनायें बनाने के लिये सर्वे भी कराया गया। इसने 135 मध्यम परियोजनायेें बनाने के लिये डीपीआर भी दीं परन्तु जल संसाधन विभाग के भारी विरोध के चलते इस कंपनी का काम रुक गया और नौबत उसके बंद होने तक आ गई। परन्तु ताजा आम बजट में इस कंपनी को 300 करोड़ रुपये देर पुनर्जीवित करने का प्रयास किया गया है ताकि वह यह धनराशि दिखाकर बाजार से कर्ज ले सके। लेकिन लिफ्ट इरीगेशन के नवाचार ने जोकि नर्मदा-क्षिप्रा लिंक परियोजना से फलीभूत हुआ, इस कंपनी के आगे काम करना निरर्थक कर दिया है।

 

इनका कहना है 

‘‘नर्मदा प्रोजेक्ट बेसिन कंपनी के लिये तीन सौ करोड़ रुपयों का प्रावधान किया गया है जिससे वह बाजार से अपनी देयता क्षमता दिखाकर कर्ज ले सके। लेकिन इसके बिना भी विभिन्न लिफ्ट इरीगेशन स्कीमों से नर्मदा के जल का उपयोग किया जा रहा है।’’

रजनीश वैश्य, उपाध्यक्ष मप्र नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण

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