बीस साल से एक ही जगह जमे हैं डेढ़ दर्जन अधीक्षक, आश्रम में बढ़ी अव्यवस्था 

बीस साल से एक ही जगह जमे हैं डेढ़ दर्जन अधीक्षक, आश्रम में बढ़ी अव्यवस्था 

Bhaskar Hindi
Update: 2018-10-02 07:45 GMT
बीस साल से एक ही जगह जमे हैं डेढ़ दर्जन अधीक्षक, आश्रम में बढ़ी अव्यवस्था 

डिजिटल डेस्क, सीधी। आदिमजाति कल्याण विभाग द्वारा संचालित जिले के आश्रम छात्रावासों में डेढ़ दर्जन अधीक्षक ऐसे हैं जो दो दशक से भी ज्यादा समय से एक ही जगह पर जमे हुये हैं। अधिकारी भले ही बदले जाते रहे हों किंतु अधीक्षकों का बदलाव कम ही हो पाया है। लंबे समय से एक ही जगह अधीक्षकों के पदस्थ रहने से आश्रम छात्रावासों की अव्यवस्था नहीं दूर हो पा रही है। जानकारी के अनुसार एकलव्य आवासीय कन्या छात्रावास टंसार, आदिवासी जूनियर बालक छात्रावास  सीधी क्र.2, आदिवासी क्रीड़ा परिसर चुरहट, आदिवासी माडल छात्रावास चुरहट, आदिवासी बालक आश्रम मड़रिया, कन्या आश्रम गांधीग्राम, बालक आश्रम चंदरेह, आदिवासी पोस्ट मैट्रिक महाविद्यालय स्तर कन्या छात्रावास कुसमी, जूनियर बालक छात्रावास कोचिला, आदिवासी कन्या आश्रम ताला, कन्या आश्रम बमुरी, के अधीक्षक बीस वर्ष से भी अधिक समय से जमे हुये हैं।

कन्या छात्रावास टंसार में 31 वर्ष से पदस्थ
कन्या छात्रावास टंसार अधीक्षक को तो  31 वर्ष पदस्थ हुये हो गये हैं। इसी तरह जूनियर बालक छात्रावास सीधी क्र.2 को भी 28 वर्ष हो रहे हैं। आदिवासी कन्या आश्रम करवाही 21 वर्ष, कन्या आश्रम ददरी 20 वर्ष, कन्या आश्रम पडख़ुरी 20 वर्ष, जूनियर बालक छात्रावास बरमबाबा 19 वर्ष 10 माह, आदिवासी पोस्ट मैट्रिक महाविद्यालय स्तर बालक छात्रावास सीधी 14 वर्ष, आदिवासी सीनियर कन्या छात्रावास सीधी 12 वर्ष से पदस्थ हैं। इसके अलावा सीनियर बालक छात्रावास पतुलखी, जूनियर बालक छात्रावास चुरहट, खोंचीपुर कन्या आश्रम मड़वास, जूनियर बालक छात्रावास टंसार क्र.2, जूनियर कन्या छात्रावास सीधी, जूनियर बालक छात्रावास पोखरा, जूनियर बालक छात्रावास सोनगढ़, उत्कृष्ट सीनियर कन्या छात्रावास कुसमी जैसे अधीक्षक पांच से दस वर्ष से अधिक समय से पदस्थ बताये जा रहे हैं। तीन से पांच वर्ष की अवधि में आदिवासी बालक आश्रम अतरैला के अधीक्षक का नाम शामिल किया गया है। बताया जाता है कि अधीक्षकों की लंबे समय से एक ही जगह पदस्थापना होने के कारण अव्यवस्था पर लगाम नही लग पा रही है। शासन द्वारा प्रति छात्र छात्रा उनके नाश्ते, भोजन सहित अन्य व्यवस्था के लिये राशि उपलब्ध कराई जा रही हो किंतु व्यवस्था के नाम पर केवल औपचारिकता पूरी की जा रही है। बता दें कि दो दशक के भीतर कई जिला अधिकारी बदले जा चुके हैं लेकिन अधिकांश आश्रम छात्रावास ऐसे हैं जहां लंबे समय से अधीक्षक अधीक्षिका कुण्डली मारे बैठे हुये हैं।

भोजन से गुणवत्ता गायब 
जिले के आश्रम छात्रावासों से भोजन की गुणवत्ता पूरी तरह से गायब हो चुकी है। इसी तरह साफ सफाई आदि की भी काफी अव्यवस्था देखी जा रही है। आश्रमों छात्रावासों में रह रहे छात्रों को नाश्ते के अलावा तेल साबुन जैसी सुविधा उपलब्ध कराने में भी कटौती की जा रही है। विभागीय अधिकारी भले ही जांच की औपचारिकता पूरी कर रहे हों पर व्यवस्था पटरी पर नही आ रही है। मझौली, कुसमी अंचल में संचालित छात्रावास, आश्रम अधीक्षकों और संबंधित अधिकारियों के कमाई का जरिया बने हुये हैं। 

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