छोटे प्रकल्पों में मात्र 18 प्रतिशत पानी शेष, गहरा सकता है जल संकट

छोटे प्रकल्पों में मात्र 18 प्रतिशत पानी शेष, गहरा सकता है जल संकट

Anita Peddulwar
Update: 2019-02-04 09:52 GMT
छोटे प्रकल्पों में मात्र 18 प्रतिशत पानी शेष, गहरा सकता है जल संकट

डिजिटल डेस्क, गोंदिया। इस वर्ष शुरुआती दौर में अच्छी बारिश हुई। लेकिन अंत में बारिश ने मुंह मोड़ लिया। जिससे जिले के जलाशय शतप्रतिशत नहीं भर सके। ग्रीष्मकाल शुरू होने के पहले ही छोटे-बड़े लगभग सभी जलाशय धीरे-धीरे खाली होने लगे हैं। जिससे इस वर्ष भी ग्रीष्मकाल में पेयजल संकट की आशंका को नकारा नहीं जा सकता। फिलहाल जिले के लघु प्रकल्पों में सिर्फ 18 प्रतिशत ही पानी शेष है।

सिंचाई विभाग से मिली जानकारी के अनुसार देवरी तहसील के आक्टीटोला लघु प्रकल्प में 15.84 प्रतिशत, रेहाड़ी 7.02 ,सालेगांव 13.45 ,सड़ेपार 0.82  सेरपार 0.68 ,वड़ेगांव 27.49,तिरोड़ा तहसील के भदभद्या लघु प्रकल्प में 2.21 प्रतिशत, रिसाला में 2.74,सड़क अर्जुनी तहसील के डोंगरगांव लघु प्रकल्प में 35.05  प्रतिशत, मोगरा 77.41 , उमरझरी 34.08 , गोरेगांव तहसील के गुमडोह लघु प्रकल्प में 3.71 प्रतिशत, कालीमाटी 28.14 ,सोनेगांव 3.93 , अर्जुनी मोरगांव तहसील के नवेगांवबांध लघु प्रकल्प में 19.30  प्रतिशत, राजोली में 10.86,  जुनेवानी 16.73 , सालेकसा तहसील के पिपरीया लघु प्रकल्प में 27.20 ,गोंदिया तहसील के पांगड़ी जलाशय में 15.16  प्रतिशत, हरी 29.47  लघु प्रकल्प में औसतन सिर्फ 18.02 प्रतिशत जल शेष है।

उल्लेखनीय है कि गत वर्ष के समान ही इस वर्ष भी जिले के मध्यम प्रकल्प अभी से सूखने लगे हैं। बोदलकसा मध्यम प्रकल्प में सिर्फ 16.88  प्रतिशत, चोरखमारा में 6.12,चुलबंध 18.42 , खड़बंधा 41 प्रतिशत, मानागढ़ 22.52  प्रतिशत, रंगेपार 12.26  एवं संग्रामपुर में 22.27  प्रतिशत इस प्रकार सभी सातों मध्यम प्रकल्पों में फिलहाल मात्र 19.69  प्रतिशत जल शेष है। मामा तालाबों की स्थिति भी चिंताजनक बनी हुई है। जिले में कुल 38  पुराने माल गुजारी तालाब है। जिसमें से अधिकांश तालाबों की स्थिति गंभीर हो गई है। फिलहाल इन सभी 38  छोटे तालाबों में सिर्फ 26.90 प्रतिशत पानी शेष है। 

सूख गए सालेगांव, चारभाटा तालाब 
सिंचाई विभाग से मिली जानकारी के अनुसार 2 फरवरी को देवरी तहसील के सालेगांव (नर्सरी) एवं चारभाटा  तालाब में शून्य प्रतिशत जल संग्रहण दर्ज किया गया है। अभी से ही छोटे-मोटे तालाबों का पानी समाप्त होने से ग्रीष्मकाल में क्या स्थिति होगी? यह गंभीर सवाल निर्माण हो रहा है। 

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