सरकार को घेरने की पूरी रणनीति, हंगामेदार रह सकता है शीतसत्र

सरकार को घेरने की पूरी रणनीति, हंगामेदार रह सकता है शीतसत्र

Tejinder Singh
Update: 2017-12-10 09:54 GMT
सरकार को घेरने की पूरी रणनीति, हंगामेदार रह सकता है शीतसत्र

डिजिटल डेस्क, मुंबई। विजय सिंह कौशिक | नागपुर में सोमवार से शुरू हो रहे विधानमंडल के शीतकालीन सत्र के हंगामेदार होने के आसार हैं। सत्र शुरू होने से पहले ही विपक्ष ने आंदोलन की राह पकड़ ली है। दूसरे दिन 12 दिसंबर को विधानभवन पर कांग्रेस-राकांपा के मोर्चे और बाद में गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजों का असर भी अधिवेशन पर दिखाई देगा। समझा जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह प्रदेश गुजरात में यदि भाजपा पिछड़ी तो विपक्ष दोगुने जोश से हमलावर होगा। दो सप्ताह चलने वाले सत्र के दौरान किसानों की कर्जमाफी, फसलों का उचित मूल्य, आईटी घोटाला, महंगाई, मुंबई-नागपुर समृद्धि महामार्ग, राज्य की कानून व्यवस्था, सड़कों की बदहाली, मुंबई विश्वविद्यालय में परीक्षाओं में देरी जैसे कई अन्य मामलों को लेकर विपक्ष सरकार पर हमला बोलेगा। साथ ही यह देखना भी महत्पूर्ण होगा कि शिवसेना और भाजपा के तल्ख रिश्ते का कितना असर विधानमंडल सत्र पर दिखाई देता है। 

विपक्ष के पास नहीं है मुद्दों की कमी

विपक्ष इस बार भी अधिवेशन शुरू होने की पूर्व संध्या पर सरकार की तरफ से आयोजित होने वाली मुख्यमंत्री की चायपार्टी का बहिष्कार करेगा। विपक्ष बहिष्कार की वर्षों पुरानी परंपरा को बहाल रखेगा। इस बाबत विपक्षी नेताओं  का कहना है कि राज्य संकट से गुजर रहा है, जनता परेशान है, ऐसे में वह सरकार की चाय कैसे स्वीकार कर सकते हैं। सरकार पर हमला बोलने के लिए विपक्ष के पास मुद्दों की कोई कमी नहीं दिखाई दे रही। किसान कर्जमाफी में देरी, राज्य की बिगड़ी कानून व्यवस्था, जेल में कैदियों की हत्या जैसे अन्य मसलों को लेकर विरोधी दल मुख्यमंत्री के चायपान का बहिष्कार करेंगा। हालांकि हाल ही में हुए विधान परिषद की एकमात्र सीट के चुनाव में विपक्षी दलों के बिखराव से सत्तापक्ष उत्साहित है। भाजपा-शिवसेना के उम्मीदवार प्रसाद लाड को नौ मत ज्यादा मिले। इसे लेकर कांग्रेस और राकांपा के बीच एक बार फि अविश्वास पैदा हुआ है। 

सरकार को घेरने के लिए मुद्दे

किसान कर्जमाफी देने में हुई देरी, ऑन लाइन घोटाले 
का आरोप। 
किसानों के फसलों का उचित मूल्य, असमय बारिश से किसानों के नुकसान की भरपाई 
मुंबई मनपा में भ्रष्टाचार के आरोप
उद्योग विभाग में भूखंड के श्रीखंड का मामला
राज्य की कानून व्यवस्था, पुलिस हिरासत व जेल में कैदियों की हत्या
गृह निर्माण विभाग में झोपड़पट्टी के पुर्नविकास में घोटाला
ऑनलाइन के कारण छात्रों के वजीफा नहीं मिल पाना
आदिवासियों के लिए खरीदे गए सामान में भ्रष्टाचार
राशन कॉर्ड में गरीबों का नाम हटाने पर विवाद
स्वास्थ्य विभाग में खरीदारी। 

चुनाव नतीजों का ये हो सकता है असर

महाराष्ट्र विधानमंडल के शीतकालीन सत्र पर गुजरात और हिमाचल प्रदेश चुनाव की छाप भी दिखाई देगी। गुजरात में पहले चरण का मतदान शनिवार को हो चुका है। जबकि दूसरे चरण का मतदान गुरुवार 14 दिसंबर को होगा। सत्र के दूसरे सप्ताह के पहले दिन 18 दिसंबर को चुनाव परिणाम सामने आ जाएंगे। इन दोनों राज्यों के चुनाव नतीजे सत्ता और विपक्ष को नई ऊर्जा और नई चुनौतियां देंगे।

विपक्ष के निशाने पर रहेंगे ये मंत्री

शीतकालीन सत्र में विरोधी दल ने फडणवीस सरकार के उन मंत्रियों की सूची तैयार की है, जिन्हें वह घेरेगा। एसआरए घोटाले में फंसे राज्य के गृह निर्माण मंत्री प्रकाश मेहता की जांच लोकायुक्त कर रहे हैं। गुजरात चुनाव का हवाला देकर मेहता लोकायुक्त के सामने हाजिर नहीं हुए थे। उन्हें  8 जनवरी को लोकायुक्त ने फिर बुलाया है। ऐसे में गृह निर्माण मंत्री मेहता विपक्ष के निशाने पर होंगे। मानसून सत्र में  उद्योग मंत्री सुभाष देसाई भी विपक्ष के निशाने पर थे। इसके अलावा महिला बाल कल्याण मंत्री पंकजा मुंडे, शिक्षा मंत्री विनोद तावड़े, आदिवासी विकास मंत्री विष्णु सावरा, खाद्य व नागरिक आपूर्ति मंत्री व उपभोक्ता संरक्षण मंत्री गिरीश बापट, स्वास्थ्य मंत्री डॉ. दीपक सावंत, कृषि मंत्री पांडूरंग फुंडकर जैसे अन्य मंत्री भी हैं, जिन्हें विपक्ष आड़े हाथों ले सकता है।

परेशान हो चुकी है जनता : विखेपाटील

विधानसभा में विपक्ष के नेता राधाकृष्ण विखेपाटील ने आरोप लगाया कि सरकार पूरी तरह से विफल हो गई है। किसानों की कर्जमाफी पर झूठ बोला जा रहा है। सरकार केवल आंकड़ों के खेल में माहिर है। राज्य की कानून व्यवस्था चरमरा गई है। जेल में भी जीवन सुरक्षित नहीं है। कैदियों की हत्या हो रही है। आम जनता के फायदे के लिए भी सरकार ने कुछ नहीं किया। लोग इससे परेशान हो गए हैं।

पदयात्रा पर राकांपा नेता 

नागपुर अधिवेशन के ऐन पहले विदर्भ में जारी राकांपा की हल्लाबोल पदयात्रा से राकांपा नेता फडणवीस सरकार पर हमला बोलने के लिए तैयार हैं। 10 दिन की पदयात्रा में राकांपा नेताओं ने गांव-गांव में जाकर किसानों से मुलाकात की है। अब अधिवेशन के दौरान किसानों की बदहाली को लेकर सरकार पर हमला बोलने के लिए राकांपा नेताओं के पास काफी सामाग्री होगी। 1 दिसंबर से यवतमाल से शुरू राकांपा की हल्लाबोल पदयात्रा मंगलवार को विधान भवन पर मोर्चा-प्रदर्शन के साथ खत्म होगी। दोनों दल विधानभवन के करीब आयोजित सभा में भारी भीड़  जुटाने के लिए जोर लगा रहे हैं। 

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