जाति पड़ताल समिति के दो सदस्यों का आदेश वैध नहीः हाईकोर्ट
जाति पड़ताल समिति के दो सदस्यों का आदेश वैध नहीः हाईकोर्ट
डिजिटल डेस्क, मुंबई। जाति वैधता प्रमाण पत्र को अवैध ठहराने का आदेश जाति पड़ताल कमेटी के तीन सदस्यों द्वारा सुनवाई के बाद दिया जाना चाहिए। यदि ऐसा आदेश कमेटी के दो सदस्यों द्वारा जारी करते हैं तो वह वैध नहीं माना जाएगा। बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में यह बात स्पष्ट किया है। इस विषय पर करन बहुरे ने याचिका दायर की थी। याचिका में बहुरे ने दावा किया गया था कि उनके जाति वैधता प्रमाण पत्र को अवैध ठहराने के संबंध में जाति पड़ताल समिति के दो सदस्यों ने आदेश जारी किया है,यह गलत है। इसलिए इसे रद्द किया जाए। जाति प्रमाणपत्र नियमावली 2012 के नियम 18 के तहत जाति वैधता प्रमाणपत्र को अवैध ठहराने को लेकर कमेटी के तीन सदस्यों द्वारा आदेश जारी करना जरुरी है। पर उसके (याचिकाकर्ता) मामले में इस नियम का पालन नहीं किया गया है।
न्यायमूर्ति आर डी धानुका व न्यायमूर्ति वी जी बिष्ट की खंडपीठ के सामने याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका पर दोनों पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि जाति प्रमाणपत्र से जुडी नियमावली के नियम 18 के तहत जाति प्रमाणपत्र की कमेटी में तीन सदस्यों का होना सिफारिशी नहीं, अनिवार्य है। इसलिए कमेटी के दो सदस्यों द्वारा जाति वैधता प्रमाणपत्र को अवैध ठहराने के निर्णय को वैध नहीं ठहराया जा सकता है। इस तरह से खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को लेकर कमेटी की ओर से जारी आदेश को रद्द कर दिया और नियमानुसार नए सिरे से जाति पड़ताल कमेटी को सुनवाई के बाद आदेश जारी करने का निर्देश दिया।