भीषण गर्मी के चलते स्कूली बच्चों की बिगड़ रही सेहत, अवकाश की मांग 

 भीषण गर्मी के चलते स्कूली बच्चों की बिगड़ रही सेहत, अवकाश की मांग 

Bhaskar Hindi
Update: 2019-04-15 08:23 GMT
 भीषण गर्मी के चलते स्कूली बच्चों की बिगड़ रही सेहत, अवकाश की मांग 

डिजिटल डेस्क,दमोह। भीषण गर्मी को देखते हुए नागरिकों ने बच्चों के लिए स्कूल से अवकाश घोषित करने की मांग की है। अभिभावकों का कहना है कि इतनी भीषण गर्मी में बच्चों को स्कूल भेजना काफी परेशानियों से भरा है। वहीं अप्रैल माह में शालाओं में अध्ययन भी नहीं होता कि उन छात्र-छात्राओं पर पढ़ाई का कोई असर पड़े सके, इसलिए शासन को चाहिए कि शीघ्र ही ग्रीष्मकालीन अवकाश की घोषणा करते हुए स्कूल बंद किए जाएं जिससे कि इस भीषण गर्मी से नन्हे मुन्ने बच्चों को राहत मिल सके ।

अभिभावकों ने कलेक्टर से भी मांग की है कि वह इस संबंध में शासन स्तर पर पत्र लिखकर तत्काल ही अवकाश घोषित करने हेतु अनुशंसा करें जिले की शासकीय एवं अशासकीय स्कूलों की सभी कक्षाएं पूर्व निर्धारित शैक्षणिक कैलेंडर के अनुसार लग रहे हैं।  शासकीय स्कूलों में ग्रीष्मकालीन अवकाश भी स्कूल शिक्षा विभाग के निर्धारित कैलेंडर के मुताबिक ही किया जाता है। वहीं निजी स्कूल भी शासन तथा अपनी मन मर्जी के अनुसार स्कूलों का संचालन कर रहे हैं वर्तमान में जिला प्रशासन को ग्रीष्मकालीन अवकाश अभी से घोषित करने के अधिकार नहीं है।

12 दिवस की छुट्टी तो जिला प्रशासन कर सकता है, परंतु शासन के शैक्षिक कैलेंडर में परिवर्तन करने के लिए उसे शासन स्तर से ही अनुमति लेना पड़ेगी क्योंकि तत्कालीन भाजपा सरकार में स्कूल में अवकाश संबंधी समस्त अधिकार शासन स्तर पर लिए जाने का आदेश जारी हो चुका था। इस कारण से जिला प्रशासन इस मामले में कोई भी निर्णय नहीं ले सकती है। बिगड़ रही बच्चों की सेहत इन दिनों पारा लगातार 40 डिग्री से ऊपर बना हुआ है और खासकर बच्चे हीट स्ट्रोक का शिकार हो रहे हैं धूप में स्कूल के गेट पर खड़े होकर अभिभावकों या बहनों का इंतजार करने वाले बच्चे भी गस्त का कर गिर रहे हैं। वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में तो हालत और भी खराब है बच्चों को उल्टियां हो रही हैं और सरकार नियम कायदे कानून में उलझी हुई है। पहले जिला कलेक्टर को गर्मी बारिश और ठंड तीन औरतों में स्थानीय परिस्थितियों के आधार पर अवकाश देने का अधिकार था, लेकिन 3 वर्ष पूर्व भाजपा सरकार द्वारा यह आदेश शासन स्तर पर ही दिए जाने का आदेश बनाते हुए उक्त आदेश को कलेक्टरों से छीन लिया था। इसका नतीजा है यह है कि कलेक्टर इस मामले में किसी भी प्रकार का कोई निर्णय नहीं ले पा रहे हैं जबकि भीषण गर्मी की चपेट में मासूमों की हाल बेहाल है। 
 

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