नागपुर के बाल दंत रोग विभाग में कम हुए मरीज, तीसरी लहर के खतरे से सहमे लोग

नागपुर के बाल दंत रोग विभाग में कम हुए मरीज, तीसरी लहर के खतरे से सहमे लोग

Anita Peddulwar
Update: 2021-07-29 09:32 GMT
नागपुर के बाल दंत रोग विभाग में कम हुए मरीज, तीसरी लहर के खतरे से सहमे लोग

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  जिले में तीसरी लहर की आशंका विशेषज्ञों ने जताई है। इसमें बच्चों पर ज्यादा असर पड़ने की बात कही जा रही है, जिससे बच्चों के अभिभावकों में डर बन गया है। बच्चों की दांत से संबंधित बीमारियों का उपचार कराने अस्पताल जाने से अभिभावक डरने लगे हैं। यह स्थिति शासकीय दंत महाविद्यालय व अस्पताल के बाल दंत रोग विभाग में देखने को मिला है। यहां मरीजों की संख्या सिर्फ 20 से 25 रह गई है। इसे देखते हुए यहां पर डॉक्टरों ने टेलीफोनिक ट्रीटमेंट देना शुरू कर दिया है।

पहले करीब 80 मरीज आते थे : बाल दंत रोग विभाग में 14 साल तक के बच्चे आते हैं। यहां पर बच्चों के इलाज के लिए ओपीडी है, जिसमें सामान्य दिनों में प्रतिदिन करीब 80 मरीज आते हैं, लेकिन तीसरी लहर के डर के कारण अब बच्चों की संख्या कम हो गई है। इसके साथ ही डॉक्टर बच्चों के ट्रीटमेंट के बाद लगातार टेलीफोनिक मॉनिटरिंग करते हैं। बच्चों के माता-पिता के पास भी डॉक्टर का नंबर होता है। जितना संभव हो डॉक्टर उन्हें अस्पताल में बुलाने की जगह टेलीफोन पर ही ट्रीटमेंट देते हैं। माता-पिता बच्चों की फोटो भेज देते हैं, जिससे दवा बता दी जाती है। 

आइसोलेट रूम : अस्पताल में तीसरी लहर को देखते हुए विभाग ने कुछ दिशा-निर्देश तैयार किए हैं। विभाग में पहले बच्चे के साथ माता-पिता और भी कई लोग आते थे। अब सिर्फ बच्चे के साथ एक ही व्यक्ति को आने की अनुमति दी गई है। ओपीडी में 6-7 डॉक्टर एक साथ कार्य करते हैं। यदि मरीजों की संख्या बढ़ती है, तो एक डॉक्टर के एक मरीज से दूसरे मरीज की जांच में अाधे घंटे का ब्रेक दिया जाएगा। साथ ही ट्रीटमेंट और अन्य प्रक्रिया के लिए अलग आइसोलेट रूम भी होगा। इससे स्टाफ और अन्य लोगों को भी स्टाफ का खतरा कम होगा।

स्टाफ बचेगा संक्रमण से : तीसरी लहर के कारण मरीजों की संख्या काफी कम हो गई है। हमने भी नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। उसके अनुसार कार्य कर रहे हैं। साथ ही हमारे डॉक्टर टेलीफोनिक ट्रीटमेंट कर रहे हैं। मरीज अस्पताल नहीं आते हैं, तो उन्हें फोन पर ही सुविधा दी जा रही है। इस तरह हमारा स्टाफ और अन्य लोग भी संक्रमण से बचेंगे।  -डॉ. रितेश कलस्कर, विभागाध्यक्ष, बाल दंत रोग विभाग, मेडिकल
 

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