कोविड वार्ड में नर्सों की उदारता से पूरी हो रही मरीजों की ख्वाहिशें

कोविड वार्ड में नर्सों की उदारता से पूरी हो रही मरीजों की ख्वाहिशें

Anita Peddulwar
Update: 2020-05-26 06:07 GMT
कोविड वार्ड में नर्सों की उदारता से पूरी हो रही मरीजों की ख्वाहिशें

डिजिटल डेस्क , नागपुर। कोरोना वायरस जवान, बुजुर्ग, बच्चों से लेकर गर्भवती महिलाओं तक को निशाना बना रहा है। कोविड-19 वार्ड में  हर उम्र के लोग हैं। ऐसे में नर्सों की उदारता से कई मरीजों की ख्वाहिशें पूरी हो रही है।  खासकर तब, जब उनके वार्ड में बच्चे और गर्भवती महिलाएं भर्ती हों।नर्सें अपनी जिम्मेदारी हर तरह से निभा रहीं हैं। जिस समय गर्भवती महिलाओं को उनकी पसंद की चीजें खिलाने का मौका होता है, उस समय वह महिलाएं अस्पताल में इलाज करा रही होती हैं। कई तो मन मार ले रही हैं, पर कुछ नर्सों से अपनी मन की बात कह दे रही हैं।

 गर्भवर्ती महिलाएं कभी चटपटा तो कभी विभिन्न तरह के फल खाने की इच्छा जता रही हैं। ऐसे में कुछ नर्स ऐसी हैं, जो उनकी मांगें पूरी भी कर रही हैं। अस्पताल की कैंटीन से ही मंगाकर चटपटी नमकीन दे रही हैं तो कुछ नर्स घर से आते समय कुछ फल साथ में ला रही हैं। इसके बाद मरीजों के चेहरे खिल जा रहे हैं। उनको लग रहा है कि अस्पताल में भी वह अकेली नहीं हैं। 

उसको डर था, कहीं होने वाला बच्चा भी पॉजिटिव न हो जाए
मेडिकल में तैनात नर्स स्वाति कोलकर कहती हैं- कोविड वार्ड में एक महिला भर्ती हुई। वह 9 माह के गर्भ से थी। वार्ड में आते ही वह रोने लगी। उसे यह डर सता रहा था कि कहीं होने वाला उसका बच्चा भी पॉजिटिव न आ जाए। मैंने उसको समझाया। इस बीच परिवार से दूर रहना भी उसके लिए आसान नहीं था। एक दिन उस महिला ने कहा- अस्पताल का खाना फीका-फीका है। कुछ चटपटा खाने का मन कर रहा है। मैंने अस्पताल की कैंटीन से चटपटी नमकीन मंगाकर दी। इसमें मसालेदार मूंगफली और मूंग दाल वाली नमकीन भी शामिल थी। यह सब सामने देखकर महिला की आंखें भर आईं। इसके बाद उसके पति का भी फोन आया। उन्होंने भी गुजारिश की कि जो उसे खाने का मन हो, कृपया दिला दीजिएगा। बाद में उस महिला ने एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया। उस शिशु की रिपोर्ट निगेटिव आई। 

मैं उनका अहसान नहीं भूल सकता
 एक परिवार ने बताया कि हमारा पूरा परिवार कोरोना पॉजिटिव था। घर से एम्बुलेंस में पूरे परिवार को अस्पताल लाया गया। जल्दी-जल्दी में सामान पैक किया। कुछ चीजें लेकर आए, लेकिन कुछ भूल गए। पॉजिटिव महिला ने बताया कि बच्चों के ब्रश लाना भूल गए थे। ऐसे में मैंने नर्स से मदद मांगी। उन लोगों ने हमारी मदद की। अस्पताल से हमें चीजें तो मिलती थीं, लेकिन इमरजेंसी होने पर हम नर्स से कह देते थे। मैं नर्सों का अहसान नहीं भूल सकती।

बच्चों के लिए रोज कुछ न कुछ खाने को लाती थी
मेडिकल में तैनात नर्स प्रिया बोरकर बताती हैं- मेरी कोविड वार्ड में ड्यूटी लगी थी। यहां पर बहुत सारे बच्चे भी थे। कोविड वार्ड से किसी को बाहर जाने की इजाजत और बाहर से अंदर आने ही इजाजत नहीं रहती है। हम भी पीपीई किट पहनकर वार्ड में रहते हैं। पहले तो बच्चे बोलने में थोड़ा घबरा रहे थे, फिर मैंने उनसे पूछा कि आप लोगों को क्या चाहिए? बच्चों ने बेहिचक कहा- चिप्स और चॉकलेट। अपनी ड्यूटी बदलने से पहले मैंने बच्चों के लिए चॉकलेट और चिप्स का इंतजाम कराया। बाद में तो मैं जब भी ड्यूटी जाती थी, बच्चों के लिए कुछ न कुछ लेकर जाती थी। बच्चों के लिए 14 दिन एक ही जगह पर रहना भी तो आसान नहीं होता। 


 


 

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