ऑनलाइन पढ़ने की रूचि किताब दुकानों तक पहुंचाने लगी, किताबों के कद्रदान बढ़े

ऑनलाइन पढ़ने की रूचि किताब दुकानों तक पहुंचाने लगी, किताबों के कद्रदान बढ़े

Anita Peddulwar
Update: 2019-04-23 08:42 GMT
ऑनलाइन पढ़ने की रूचि किताब दुकानों तक पहुंचाने लगी, किताबों के कद्रदान बढ़े

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  कम्प्यूटर और इंटरनेट की बढ़ती लोकप्रियता के बीच किताब पढ़ने वालों की संख्या लगातार कम होने की बात सामने आती रहती है। यहां तक कि, पढ़ने में रुचि रखने वालों ने भी ऑनलाइन माध्यम पर पढ़ने का विकल्प अपना लिया है। इसके बावजूद किताब के कद्रदानों की शहर में कमी नहीं है।  

बढ़ रही है पढ़ने में रुचि 
नागपुर की सबसे पुराने लाइब्रेरी राजाराम सीताराम में हर साल सदस्यों की संख्या बढ़ती जा रही है। सदस्यता लेने वालों की संख्या हर वर्ष बीते वर्ष की तुलना में अधिक होती है। इनमें बड़े ही नहीं, बच्चे भी शामिल होते हैं। 1895 में शुरू हुई सौ वर्ष से ज्यादा पुरानी इस लाइब्रेरी में फिलहाल डेढ़ लाख किताबें हैं और तीन हजार सदस्य। लाइब्रेरी की पुरानी इमारत और गर्मी से निजात पाने के उपायों की कमी भी पढ़ने वालों के जोश को कम नहीं कर पाती हैं। शाम के पांच बजे किताब लेने और लौटाने वालों की कमी नहीं है। यहां तक कि, अगाथा किस्ट्री की किताब की खोज टीन एजर मृणालिनी भी अपने पिता के साथ वहां नजर आईं। किताबों के आधुनिक ठिकाने में काम करने वाले नितीन के अनुसार आजकल सबसे ज्यादा मांग बच्चों की किताबों की है। उनका कहना है- ऑनलाइन पढ़ने की सुविधा से पढ़ने में लोगों की रुचि बढ़ी है। कई बार लोग ऑनलाइन जो किताब पढ़ना शुरू करते हैं। उसकी खोज में दुकान तक पहुंच जाते हैं। 

अंग्रेजी-मराठी भाषा की किताबों की मांग
शहर में पढ़ने वालों की कमी नहीं है। दूर दराज से लोग नियमित रूप से लाइब्रेरी में आते हैं। सबसे ज्यादा अंग्रेजी भाषा की किताबों की मांग है। मराठी साहित्य भी काफी पसंद किया जाता है। लोगों को फिक्शन, मोटिवेशनल और बायोग्राफी सबसे ज्यादा पसंद है। बच्चों को हैरी पॉटर सबसे ज्यादा पसंद है। लाइब्रेरी में वर्ष में तीन बार किताबें खरीदी जाती हैं। वर्ष 2016 में 90,2017 में सौ और पिछले वर्ष 128 नए सदस्य बने हैं। 
- मीनाक्षी मलकानी, लाइब्रेरियन, राजाराम लाइब्रेरी 

किताब पढ़ने का अलग लुत्फ
ऑनलाइन किताब पढ़ने का अलग महत्व है, पर हाथ में किताब लेकर पढ़ने का मजा ही अलग है। मुझे राजनीति और अर्थशास्त्र से संबंधित किताबें पढ़ने में ज्यादा रुचि है। अब तक मैं सौ से ज्यादा किताबें पढ़ चुका हूं। पढ़ना ऐसी हॉबी है, जिससे जीवन में आपको काफी कुछ सीखने को मिलता है। -अतुल ठाकरे

100 से अधिक देशों में मनाया जाता है पुस्तक दिवस
यूनेस्को की ओर से लोगों को किताब पढ़ने के लिए प्रेरित करने के लिए 1995 में 23 अप्रैल को विश्व पुस्तक दिवस की शुरुआत की गई। अब दुनिया के 100 से अधिक देशों में यह दिवस मनाया जाता है। हालांकि इसकी नींव 1923 में स्पेन में पुस्तक विक्रेताओं द्वारा प्रसिद्ध लेखक मीगुयेल डी. सरवेन्टीस को सम्मानित करने हेतु आयोजन के समय ही रख दी गई थी। सरवेन्टीस का देहांत 23 अप्रैल को हुआ था। किताबों की दुनिया में रहने वालों के लिए यह दिन खास है। साथ ही कम्प्यूटर और इंटरनेट के प्रति बढ़ती दिलचस्पी के बीच लोगों को पुस्तक पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए भी इस दिन का महत्व है। 23 अप्रैल 2019 के दिन दो महान लेखकों विलियम शेक्सपियर और मीगुयेल डी. सरवेन्टीस की 400वीं पुण्यतिथि भी है। विलियम शेक्सपियर और सरवेन्टीस की मृत्यु एक ही दिन 23 अप्रैल 1616 में हुई थी। 

भारत में हैं सबसे ज्यादा किताबी कीड़े
वर्ल्ड कल्चर स्कोर इंडेक्स के आधार पर विभिन्न देशों में प्रति सप्ताह पाठकों द्वारा बिताए गए घंटे बताए गए हैं। इनमें सबसे पहले नंबर पर भारत ही है। सुपरजॉब डॉट रू द्वारा किए गए सर्वे यह सामने आया था। 

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