बगैर कार्य के ही निकाली लाखों रुपए की राशि
पन्ना बगैर कार्य के ही निकाली लाखों रुपए की राशि
डिजिटस डेस्क पन्ना। राज्य व केन्द्र सरकार के सहयोग से लगातार घटते जल स्तर के संरक्षण वह संवर्धन हेतु विभिन्न योजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है जिससे जलस्तर बना रहे तथा पानी संरक्षित रह सके एवं नदियों तालाब व बावडी का जलस्तर उसी प्रकार बना रहे। आम आदमी को पीने के पानी के साथ-साथ अन्य उपयोग हेतु पर्याप्त पानी मिल सके साथ ही कृषि वह पशुओं के लिए भी पर्याप्त मात्रा में जल प्राप्त हो सके। इस हेतु शासन द्वारा प्रतिवर्ष करोड़ों रुपए की राशि खर्च की जाती है।
इस राशि को खर्च करने के पीछे शासन का उद्देश्य यह भी होता है कि जल संरक्षण के साथ-साथ स्थानीय निवासियों को रोजगार गारंटी योजना के तहत स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर उपलब्ध हो सके। जिससे मजदूरों का पलायन रोका जा सके तथा आम मजदूर का जीवन यापन हो सके विगत वर्ष कोरोना संक्रमण काल के समय निर्मित हुई स्थिति को ध्यान में रखते हुए शासन-प्रशासन द्वारा इस बात को विशेष प्राथमिकता दी गई कि स्थानीय व्यक्तियों को ही रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए जाएं परंतु लगता है कि भ्रष्टाचार का पर्याय बन चुकी जनपद पंचायत पवई व उनकी ग्राम पंचायतें लगातार नवीन कीर्तिमान स्थापित कर रही हैं।
जमीनी स्तर पर कार्य होता ही नहीं और लाखों रुपए का फर्जी मूल्यांकन कर राशि आहरण कर उसका बंदरबांट कर लिया जाता है तथा फर्जी बिल वाउचर लगा दिए जाते हैं जिस पर वरिष्ठ अधिकारी भी ध्यान नहीं देते हैं जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि सारा खेल मिलीभगत से चल रहा है ऐसा ही मामला पवई जनपद के अंतर्गत सिमरिया के समीपस्थ ग्राम पंचायत तिघरा का है जहां पर जल संवर्धन हेतु झिरिया में परकुलेशन टैंक निर्माण हेतु 498000 की राशि प्राप्त हुई थी। जिसका केवल एक मात्र देश जल संवर्धन योजना के तहत पानी का संरक्षण कर आसपास के लोगों को उपयोग के लिए जल उपलब्ध कराना था परंतु परकुलेशन टैंक के निर्माण पर उपयंत्री की मिलीभगत से वर्तमान में 236000 का आहरण कर लिया गया है। जबकि वास्तविक रूप से धरातल पर हजारों रुपए का काम भी दिखाई नहीं दे रहा है।
इस कार्य में मनमाने तरीके से भ्रष्टाचार किया गया है इस परकुलेशन टैंक की स्वीकृति मनरेगा योजना के तहत वर्ष 2020-21 में दी गई थी ग्रामवासियों ने वरिष्ठ अधिकारियों से मांग की है कि ग्राम पंचायत एवं जनपद पंचायत में पदस्थ उपयंत्री की मिलीभगत से फर्जी तरीके से स्वीकृत कार्यों का मूल्यांकन कार्य राशि का बंदरबांट किया जा रहा है तथा कार्य की गुणवत्ता को ताक पर रखा जा रहा है। कलेक्टर एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी से ग्रामवासियों ने मांग की है कि ऐसे कार्यों पर तत्काल संज्ञान लेकर संबंधित कर्मचारियों के विरुद्ध कार्यवाही करे जिससे मनरेगा के तहत स्वीकृत कार्य गुणवत्ता पूर्ण हो सके एवं स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर मिल सके जिससे ग्राम के लोगों का पलायन रोका जा सके।
इनका कहना है
""मुझे संबंध में कोई जानकारी नहीं है इस संबंध में उपयंत्री अरविंद त्रिपाठी से आप बात कर सकते हैं वह मेरे ऊपर कार्य नहीं करते वह मेरे नीचे कार्य करते हैं।""