पब्लिसिटी स्टंट है किसान कर्ज माफी के खिलाफ याचिका

पब्लिसिटी स्टंट है किसान कर्ज माफी के खिलाफ याचिका

Bhaskar Hindi
Update: 2019-01-04 17:17 GMT
पब्लिसिटी स्टंट है किसान कर्ज माफी के खिलाफ याचिका

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस एसके सेठ और जस्टिस विजय शुक्ला की युगल पीठ ने अपने आदेश में कहा कि राज्य सरकार की किसान कर्ज माफी योजना के खिलाफ दायर जनहित याचिका पूरी तरह से पब्लिसिटी स्टंट है। इस तरह की याचिका के लिए हाईकोर्ट उचित फोरम नहीं है। इस टिप्पणी के साथ युगल पीठ ने इलाहाबाद के एक अधिवक्ता द्वारा किसान कर्ज माफी योजना के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दी है।

ये कहा आदेश में
युगल पीठ ने अपने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता ने याचिका दायर करने के साथ ही 27 दिसंबर 2018 के प्रमुख हिन्दी अखबारों में याचिका से संबंधित समाचार का प्रकाशन कराया। इससे स्पष्ट है कि याचिकाकर्ता का उद्देश्य प्रचार और प्रसिद्धी पाना है। याचिकाकर्ता इस संबंध में भी कोर्ट को संतुष्ट नहीं कर पाया कि किसान कर्ज माफी योजना से किसी के कानूनी या मौलिक अधिकारों का हनन होता हो। इसलिए याचिका को खारिज किया जाता है। यह है मामला आकाश विहार इलाहाबाद निवासी अधिवक्ता मोहित कुमार की ओर से दायर जनहित याचिका में मध्यप्रदेश सरकार की किसान कर्ज माफी योजना को चुनौती दी गई।

यह भी कहा गया
याचिका में कहा गया कि मध्यप्रदेश की कांग्रेस सरकार ने िबना किसी प्लानिंग के 17 दिसंबर 2018 को किसानों के 2 लाख रुपए तक के कर्ज माफ करने की अधिसूचना जारी की थी। इस योजना के लिए स्पष्ट प्रावधान नहीं बनाए गए, जिससे इस योजना का लाभ संपन्न किसानों को भी मिलेगा। इससे प्रदेश सरकार पर 50 हजार करोड़ रुपए का बोझ आएगा। इस योजना को दूसरे राज्य भी लागू कर सकते है। इससे राष्ट्रीय अर्थव्यवस्स्था को क्षति पहुंचने की संभावना है। याचिकाकर्ता ने कहा कि यह योजना जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 123 के तहत भ्रष्ट आचरण की श्रेणी में आती है।

किसान कर्ज माफी राजनीति से प्रेरित है याचिका
 महाधिवक्ता राजेन्द्र तिवारी और अतिरिक्त महाधिवक्ता शशांक शेखर ने कहा कि याचिका पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित और प्रचार पाने के लिए दायर की गई है। पूर्व में भी कई राज्य सरकार किसानों का कर्ज माफ कर चुकी है। इसलिए याचिका सुनवाई के योग्य नहीं है। चुनाव आयोग का पक्ष अधिवक्ता सिद्धार्थ सेठ ने रखा।

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