मुंबई में कटे पेड़ों के बदले लगाए जाएंगे पौधे, बीएमसी ने ताडोबा में खरीदी 19.50 हेक्टेयर जगह

मुंबई में कटे पेड़ों के बदले लगाए जाएंगे पौधे, बीएमसी ने ताडोबा में खरीदी 19.50 हेक्टेयर जगह

Anita Peddulwar
Update: 2021-01-11 13:53 GMT
मुंबई में कटे पेड़ों के बदले लगाए जाएंगे पौधे, बीएमसी ने ताडोबा में खरीदी 19.50 हेक्टेयर जगह

डिजिटल डेस्क, मुंबई । सड़क बनाने के लिए मुंबई में काटे जाने वाले हजारों पेड़ों के बदले चंद्रपुर में जंगल लगाया जाएगा। मुंबई महानगर पालिका ने ताड़ोबा-अंधारी बाघ परियोजना के पास ही 19.50 हेक्टेयर जगह खरीदकर वन विभाग को हस्तांतरित कर दी है। यह जमीन चंद्रपुर जिले के चिमूर तालुका में स्थित वासनविहिरा और गोंडमोहाडी गांवों में निजी लोगों से खरीदी गई है। मनपा अधिकारियों के मुताबिक इसी जमीन पर वन लगाने की प्रक्रिया जल्द ही शुरू की जाएगी। 

दरअसल महानगर में यातायात की समस्या हल करने के लिए संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान के नीचे 4.70 किलोमीटर लंबी सुरंग बनाई जानी है। इसके अलावा फिल्मसिटी के भीतर भी 1.02 किलोमीटर लंबी सुरंग बनाई जाएगी। गोरेगांव और मुलुंड लिंक रोड के जरिए बनने वाली इस सड़क के जरिए पूर्वी और पश्चिमी उपनगरों को जोड़ा जाएगा। यह लिंक रोड पूर्वी और पश्चिमी एक्सप्रेस वे को भी जोड़ेगी। 12.2 किलोमीटर लंबे इस लिंक रोड के लिए बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई करनी होगी। इसलिए परियोजना के लिए शर्त थी कि मुंबई महानगर पालिका को पेड़ काटने की एवज में दूसरी जगह पर 19.43 हेक्टेयर जमीन पर पेड़ लगाने होंगे। इसीलिए चंद्रपुर जिले में वन लगाने के लिए 19.50 हेक्टेयर जमीन ली गई है। इस पूरे काम के लिए 1 करोड़ 44 लाख रुपए का खर्च आएगा।  

यह कोई पहला मौका नहीं है जब मुंबई में पेड़ कटाई के बदले राज्य के किसी दूसरे हिस्से में पेड़ लगाए गए हों। दस साल पहले मध्य वैतरणा बांध बनाने के लिए करीब एक लाख पेड़ काटे गए थे। प्रशासन ने दावा किया था कि बदले में मराठवाडा के बीड में दो लाख पेड़ लगाए गए थे। इसके अलावा गारगाई-पिंजाल बांध के लिए एक लाख से अधिक पेड़ काटे जाएंगे। इसके लिए भी ताडोबा-अंधारी में पेड़ लगाए जाएंगे। हालांकि मुंबई में पेड़ काटने और बदले में राज्य के किसी और हिस्से में पेड़ लगाने के लगातार हो रहे फैसलों पर सवाल उठाए जा रहे हैं। बीएमसी के कई नगरसेवकों ने इस बात पर हैरानी जताई है कि कितने पेड़ लगाए गए, इसमें से कितने पेड बचे, वृक्ष प्राधिकरण इसकी जानकारी कभी साझा नहीं करता। इस बाबत वस्तुस्थिति की जानकारी देने की मांग की जा रही है। 

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