ऊर्जा उद्योग के निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मचारियों की हड़ताल

ऊर्जा उद्योग के निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मचारियों की हड़ताल

Anita Peddulwar
Update: 2021-02-04 07:39 GMT
ऊर्जा उद्योग के निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मचारियों की हड़ताल

डिजिटल डेस्क, नागपुर। किसान आंदोलन को समर्थन और ऊर्जा उद्योग के निजीकरण के विरोध में महाराष्ट्र स्टेट इलेक्ट्रिसिटी वर्कर्स फेडरेशन के आह्वान पर  राज्यभर में कर्मचारियों की एक दिवसीय हड़ताल रही। नागपुर में काटोल रोड स्थित महावितरण कार्यालय के सामने प्रदर्शन कर नारेबाजी की गई। प्रदर्शन के दौरान केंद्र  सरकार से ऊर्जा उद्योग का निजीकरण करने वाले विद्युत (संशोधन) बिल 2020 व स्टैन्डर्ड बीडिंग डॉक्यूमेंट रद्द करने की मांग की गई। सरकार को चेतावनी दी गई कि इस हड़ताल को गंभीरता से नहीं लिया गया तो जिस दिन संसद में कानून पारित करने का प्रयास किया जाएगा, उस दिन देशव्यापी हड़ताल की जाएगी। निजीकरण के विरुद्ध इस हड़ताल के बाद अगर उग्र आंदोलन की जरूरत पड़ी तो उसके लिए भी कर्मचारियों से तैयार रहने का आह्वान किया गया। 

प्रदर्शन के दौरान आयटक के महाराष्ट्र सचिव श्याम काले, राष्ट्रीय सचिव सुकुमार दामले, वर्कर्स फेडरेशन के अध्यक्ष कामरेड मोहन शर्मा, उपाध्यक्ष कॉ. चंद्रशेखर मौर्य, संयुक्त सचिव कॉ. पी. वी. नायडू, सबॉर्डिनेट इंजीनियर्स एसोसिएशन के अविनाश लोखंडे ने कर्मचारियों को संबोधित किया। हड़ताल को सफल बनाने में संयुक्त सचिव कामरेड पी.वी. नायडू, सर्कल सहसचिव राजेश वैले, पंकज खोडे, विभागीय सचिव  सुजित पाठक, मनोज लथाड, मनीष भैसारे, स्वप्निल साखरे, ऊषा खोडे, सुलोचना बिहाडे आदि की महत्वपूर्ण भूमिका रही।

किसान आंदोलन पर सरकार का तानाशाही रवैया
केंद्र सरकार ने किसान आंदोलन के खिलाफ तानाशाही रवैया अपनाया है। इस अभूतपूर्व आंदोलन में कांटे डालकर अत्यंत क्रूर तरीके से सरकार ने आंदोलन को कुचलने का प्रयास किया है। विद्युत उद्योग के निजीकरण का बिल देश के किसी भी राज्य, किसान, विद्युत ग्राहक व कामगार-अभियंताओं के हित का नहीं है। देश के 12 मुख्यमंत्री, ऊर्जा मंत्री, 350 सांसद, विधायक और विद्युत ग्राहकों ने इसका विरोध किया है। -मोहन शर्मा, कामरेड

निजी क्षेत्र की घुसपैठ कराने का प्रयास
ऊर्जा उद्योग के निजीकरण के बिल का विरोध किया है। राऊत ने कहा कि विद्युत वितरण क्षेत्र में एकाधिकारशाही से छुटकारा दिलाने के नाम पर निजी क्षेत्र की घुसपैठ कराने का प्रयास है। इससे सामान्य व गरीब जनता का सुख-चैन छिन जाएगा। विद्युत उत्पादन करने वाली निजी कंपनियां मांग बढ़ने पर सुनियोजित तरीके से उत्पादन घटाकर बिजली की कमी दिखाने का खेल करेंगी। इसे ऊर्जा क्षेत्र में "गेमिंग ऑफ जनरेशन" कहा जाता है। मांग अनुसार आपूर्ति नहीं होने का बहाना बनाकर दर बढ़ाई जाएगी। वैश्विक स्तर पर यही अनुभव रहा है। भारत में यह घातक साबित होगा।  -डॉ नितीन राऊत, ऊर्जा मंत्री, महाराष्ट्र
 

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