जानिए, विदर्भ में कैसे हो रही श्वेत क्रांति की तैयारी, खास गायों की संख्या बढ़ाने की कवायद

जानिए, विदर्भ में कैसे हो रही श्वेत क्रांति की तैयारी, खास गायों की संख्या बढ़ाने की कवायद

Tejinder Singh
Update: 2018-11-04 13:21 GMT
जानिए, विदर्भ में कैसे हो रही श्वेत क्रांति की तैयारी, खास गायों की संख्या बढ़ाने की कवायद

डिजिटल डेस्क, नागपुर। दुग्ध उत्पादन में बढ़ोतरी के लिए किए जा रहे प्रयासों में डेनमार्क से मंगाए गए बुल्स और कुछ भारतीय प्रजातियों को से जांच-परख कर चुने गए बैलों का सीमन गायों के कृत्रिम गर्भाधान के लिए तैयार िकया जा रहा है, ताकि राज्य में ज्यादा दूध देने वाली गायों की संख्या बढ़े। ये कार्य नागपुर की फ्रोजन सीमेन लेब्रोटरी में हो रहा है। प्रक्रिया जानकारों की मानें तो इसमें डेनमार्क से आए बुल्स और हरियाणवी बुल्स भी शामिल हैं, जिनका सीमेन करीब 1 वर्ष में 1 लाख गायों का कृत्रिम गर्भाधान करने में मदद कर सकता है। इन्हें डाइट भी स्पेशल दी जाती है।ज्ञात रहे कि ये विदर्भ में एकमात्र केंद्र है, वहीं महाराष्ट्र में ऐसे तीन केंद्र हैं। 

प्रक्रिया में लिक्विड नाइट्रोजन का उपयोग
लिक्विड नाइट्रोजन कम तापमान पर शरीर की कोशिकाएं लंबे समय तक जीवित रह सकती हैं। इसी तरह शुक्राणओं को लंबे समय तक जीवित और सुरक्षित रखने के लिए लिक्विड नाइट्रोजन का प्रयोग किया जाता है। लिक्विड नाइट्रोजन का ताप -196 डिग्री से. होता है। लिक्विड नाइट्रोजन को क्रायोजनिक जार में भरा जाता है, जिसमें सीमेन स्टोरेज किया जाता है। क्रायो यानी बहुत ठंडा, जब भी कोई गैस, गैस से लिक्विड में बदलती है तो उसे क्रायोजनिक लिक्विड कहते हैं। सीमन स्ट्रा सीमन को फ्रिज करने और भरने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है। एआई गन एआई गन के लिए गन एक महत्वपूर्ण उपकरण होता है, जो सीमन को स्ट्रा से यूटेरस तक पहुंचाता है।

एआई के दौरान फ्रोजन सीमन को तरल बनाने तथा स्पर्म को पुनः एक्टिव करने के लिए तापमान -196 डिग्री सेल्सियस से +37 डिग्री सेल्सियस करना पड़ता है। यह काम फूर्ति से होना बहुत जरूरी है। इसके लिए ताप में समानता होनी चाहिए, ताकि पूरी लंबाई में भरे हुए सीमन की थॅाइंग एकसार हो सके तथा पूरा सीमन तरल हो जाए। ऐसा नहीं होने पर स्पर्म गर्मी के उतार-चढ़ाव के प्रभाव को सहन नहीं कर पाते हैं और मर जाते हैं। 

डॉ. अस्मिता तडस्कर के मुताबिक किसान आत्महत्या की दर बढ़ती जा रही है लेकिन यदि किसान खेती के अलावा दुग्ग्ध का व्यवसाय करें तो उनके लिए लाभकारी हो सकता है। वहीं देसी गायों से बहुत कम दूध प्राप्त होता है इसके लिए आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन गायों का किया जाए, तो इससे काफी फायदा हो सकता है। ज्ञात रहे कि फ्रोजन सीमेन लेब्रोरेटरी में देशी व विदेशी ब्रीड के 46 बुल्स को रखा गया है। इसमें दो बुल डेनमार्क के भी हैं। वहीं हरियाणवी ब्रीड के 5, साहीवाल के 4, गौड़ के 4 और गिर के 3 बुल्स को फ्रोजन सीमेन लेब्रोरेटरी में हैं, जिनके सीमेन को प्रिजर्व किया जा रहा है, ये सीमेन करीब 10 लाख गायों को प्रेग्नेंट कर सकता है। 

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