प्रधानमंत्री किसानों से बात कर हल निकालें - राज ठाकरे

प्रधानमंत्री किसानों से बात कर हल निकालें - राज ठाकरे

Anita Peddulwar
Update: 2021-02-06 14:26 GMT
प्रधानमंत्री किसानों से बात कर हल निकालें - राज ठाकरे

डिजिटल डेस्क, मुंबई।  मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे ने कहा है कि दिल्ली की सीमा पर चल रहे किसानों आंदोलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हस्तक्षेप करना चाहिए। राज ने केंद्र सरकार के तीनों कृषि कानूनों का समर्थन भी किया। उन्होंने कहा कि कृषि कानून गलत नहीं हैं लेकिन इसमें त्रुटियां निश्चित रूप से हो सकती हैं। राज ने कहा कि मोदी ने आंदोलनकारियों से कहा था कि मैं एक फोन कॉल के दूरी पर हूं। मुझे लगता है कि अब प्रधानमंत्री को किसानों को फोन करके आंदोलन का हल निकाल लेना चाहिए। शनिवार को ठाणे में पत्रकारों से बातचीत में राज ने कहा कि केंद्र सरकार के मंत्रियों से आंदोलन में कोई रास्ता नहीं निकल पा रहा है तो प्रधानमंत्री को ध्यान देना चाहिए। राज ने कहा कि केंद्र सरकार को प्रदेशों से चर्चा करने के बाद कृषि कानूनों को लागू करने के बारे में कोई फैसला लेना चाहिए।

राज ने किसान आंदोलन में कड़े बंदोबस्त लगाने को लेकर सरकार की आलोचना की। उन्होंने कहा कि मैंने पाकिस्तान और चीन की सीमा पर भी इतना बंदोबस्त नहीं देखा है। राज ने कहा कि केंद्र सरकार को अपने पक्ष में देश की दिग्गज हस्तियों से ट्वीट नहीं करना चाहिए था। यह केंद्र सरकार की नीतियों का मामला है। यह कोई पाकिस्तान और चीन से आया संकट नहीं है। राज ने कहा कि केंद्र सरकार को अभिनेता अक्षय कुमार जैसे लोगों तक सीमित रहना चाहिए था। क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर और मशहूर गायिका लता मंगेशकर बहुत बड़ी हस्तियां हैं। 

अडानी समूह के प्रमुख पवार से मिले, फिर सरकार बोली बिजली बिल माफी नहीं 
राज ने कहा कि लॉकडाउन में बढ़े हुए बिजली बिल को कम करने के लिए मैंने राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी की सलाह के अनुसार राकांपा अध्यक्ष शरद पवार से फोन पर बात की थी। पवार ने मुझे बिजली कंपनियों के नाम पर पत्र लिखकर देने को कहा। मैंने बिजली आपूर्ति करने वाली कंपनियों के नाम पत्र लिखकर पवार को भेजा। फिर पांच-छह दिन बाद मुझे पता चला कि पवार के घर पर अडानी समूह के प्रमुख गए थे। मुझे नहीं मालूम कि दोनों के बीच चर्चा क्या हुई। लेकिन बाद में सरकार ने कहा कि बिजली बिल माफ नहीं किया जाएगा। राज ने कहा कि प्रदेश के ऊर्जा मंत्री नितीन राऊत ने बढ़े हुए बिजली बिल को कम करने का आश्वासन दिया था। लेकिन बाद में उन्होंने यूटर्न ले लिया। 

केंद्र और राज्य में सत्ता रहते हुए भाजपा- शिवसेना ने नाम क्यों नहीं बदला
राज ने औरंगाबाद के नाम बदलने को लेकर भाजपा और शिवसेना पर राजनीति करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य में जब भाजपा और शिवसेना की एक साथ सरकार थी तो औरंगाबाद का नाम क्यों नहीं बदला? दोनों दलों को इसका जवाब देना चाहिए। राज ने कहा कि औरंगाबाद मनपा चुनाव के ऐन मौके पर इस मुद्दे को उछाला जा रहा है। दोनों दल अब क्यों राजनीति कर रहे हैं? राज ने कहा कि मुझे लगता है कि औरंगाबाद की जनता चालाक है। जनता दोनों पार्टियों का समाचार भी लेगी।  

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