अब प्राइवेट हाथों में होगी 'जल सप्लाई व्यवस्था', खंडवा-शिवपुरी के बाद पूरे MP में होगा लागू

अब प्राइवेट हाथों में होगी 'जल सप्लाई व्यवस्था', खंडवा-शिवपुरी के बाद पूरे MP में होगा लागू

Bhaskar Hindi
Update: 2018-03-24 08:38 GMT
अब प्राइवेट हाथों में होगी 'जल सप्लाई व्यवस्था', खंडवा-शिवपुरी के बाद पूरे MP में होगा लागू

डिजिटल डेस्क, भोपाल। मध्य प्रदेश के सभी 386 नगरीय निकायों जिनमें 16 नगर निगम, 98 नगरपालिकायें और 272 नगर परिषदें शामिल हैं, में जल सप्लाई व्यवस्था का प्राइवेटाइजेशन होगा। इसके अंतर्गत प्राइवेट क्षेत्र की कंपनी घर-घर में मीटर लगाएगी और पेयजल सप्लाई करेगी और उसके शुल्क की वसूली करेगी। चार साल पहले पायलट प्रोजेक्ट के तहत खंडवा नगर निगम में यह व्यवस्था लागू की गई तथा अब शिवपुरी नगर पालिका में यह व्यवस्था लागू की गई है।

दरअसल राज्य सरकार ने नगरीय निकायों में जल सप्लाई व्यवस्था प्राइवेट हाथों में देने के लिए जलमापन तथा नल संयोजन का नियमितीकरण उपविधियां तैयार की हैं। इन उप विधियों को सर्वप्रथम 20 अक्टूबर 2014 को खंडवा नगर निगम में लागू किया गया तथा अब चार साल बाद शिवपुरी नगर पालिका में लागू कर दिया है। खंडवा में विश्वा कंपनी को जल सप्लाई का ठेका मिला हुआ है, जबकि शिवपुरी में वाटर इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड को ठेका दिया गया है।

खंडवा नगर निगम में प्राइवेट कंपनी 11.95 रुपए एक हजार लीटर का वसूल कर रही है, जबकि शिवपुरी में यह रेट 14.95 रुपए प्रति एक हजार लीटर रखा गया है। दोनों नगरीय निकायों में BPL के लिए दर पचास प्रतिशत कम रखी गई है। उप विधियों में प्रावधान किया गया है कि जो व्यक्ति पानी का मीटर नहीं लगाना चाहते हैं वे 200 रुपए प्रति माह फ्लेट रेट का भुगतान करें। दोनों निकायों में प्राइवेट क्षेत्र को दस-दस सेक्टर जल सप्लाई के लिए दिए गए हैं। पानी भी शुध्द एवं छना हुआ देने का उपविधियों में प्रावधान है।

यंत्री नगरीय प्रशासन संचालनालय भोपाल के अधीक्षक सुरेश सेजकर ने मामले में कहा कि ‘‘खंडवा नगर निगम के बाद अब शिवपुरी नगरपालिका में जल सप्लाई व्यवस्था पीपीपी मोड पर प्राइवेट क्षेत्र को देने का प्रावधान लागू किया गया है। इससे जो जितना पानी उपयोग में लायेगा उसे मीटर के हिसाब से उतना ही बिल देना होगा। बाद में इसे सभी नगरीय निकायें में लागू किया जायेगा।’’

खंडवा नगर निगम के महापौर सुभाष कोठारी का कहना है कि ‘‘मीटर के हिसाब से बिल देना कम खर्चीला होता है, जबकि फ्लेट रेट ज्यादा हैं। यदि एक परिवार में सदस्यों की औसत संख्या चार है तो उसे मीटर के हिसाब से तकरीबन प्रतिमाह सौ रुपए से भी कम बिल देना होगा। यदि वह मीटर नहीं लगाना चाहता है तो उसे बिल फ्लेट रेट के हिसाब से 200 रुपए प्रति माह देना होगा।’’

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