खेत के बीचों बीच "सुचंद्र लाइट ट्रैप' लगाकर हो सकेगी फसलों की सुरक्षा

खेत के बीचों बीच "सुचंद्र लाइट ट्रैप' लगाकर हो सकेगी फसलों की सुरक्षा

Anita Peddulwar
Update: 2021-03-20 10:02 GMT
खेत के बीचों बीच "सुचंद्र लाइट ट्रैप' लगाकर हो सकेगी फसलों की सुरक्षा

डिजिटल डेस्क, गोंदिया। गोंदिया जिले के धान उत्पादक किसानों को बीते कुछ वर्षों से धान की फसल लगाने के दौरान विविध प्रकारों के कीटकजन्य बीमारियों की वजह से भारी आर्थिक नुकसान सहन करना पड़ रहा है। पतंगवर्गी कीटों की इल्लियों द्वारा फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया जाता है। इन्हें नियंत्रित करने के लिए देवरी तहसील के चिचगढ़ में कार्यरत मंडल कृषि अधिकारी चंद्रकांत कोली ने सुचंद्र लाइट ट्रैप नामक एक ऐसा उपकरण तैयार किया है, जिसे खेत के बीचों बीच लगाया जाता है। इसके ऊपरी हिस्से में लाइट अथवा लालटेन तथा उसके निचले हिस्से में कीटनाशक का घोल रख दिया जाता है।

प्रणय क्रीड़ा के दौरान पतंगे इस उपकरण में लगे लाइट की ओर आकर्षित होते हैं एवं नीचे रखे कीटनाशक के घोल में गिरकर मर जाते हैं। कीटों की प्रजनन क्षमता बहुत अधिक होती है और इनका एक जोड़ा एक सीजन में लाखों नए कीटों को जन्म दे सकता है। चिचगढ़ के मंडल कृषि अधिकारी चंद्रकांत कोली ने 20 वर्षों के अनुसंधान के बाद फसलों के लिए नुकसानदायक फौजी इल्ली, सफेद मक्खी जैसे हानिकारक कीटों को नष्ट करने के लिए सुचंद्र लाइट ट्रैप  का डिजाइन तैयार किया एवं उसके खेतों पर लगाने के समय एवं तरीके का चार्ट तैयार किया। इसे धान के रोपे से लेकर कटाई के स्तर तक बढ़े धान की फसल में भी आसानी से उपयोग किया जा सकता है। 2100 रुपए में यह उपकरण तैयार हो जाता है। यह मजबूत और टिकाऊ है। प्रायोगिक स्तर पर उन्होंने इसी वर्ष रबी के मौसम में चिचगढ़ क्षेत्र के किसान के खेत में इसका प्रयोग किया। जिसके नतीजे काफी सकारात्मक आए। इस उपकरण में फंसकर गादमक्खी, सफेद मक्खी, फौजी इल्ली जैसे पतंगवर्गीय कीट बड़ी संख्या में मारे गए। 

कोली ने बताया कि वैसे तो दुनिया में कई तरह के लाइट ट्रैप मौजूद है। लेकिन धान, चना जैसी तेजी से बढ़ने वाली फसलों पर यह असरदार साबित नहीं हो पा रहे हैं। इसके अलावा लाइट ट्रैप उपकरण को खेतों पर कब और कैसे लगाना है? इस विषय में भी कोई विशेष लेख अथवा अनुसंधान उपलब्ध नहीं होने से किसानों को इसकी जानकारी नहीं है।

पेटेंट के लिए किया आवेदन
सुचंद्र लाइट ट्रैप के अनुसंधान पर शीघ्र ही मेरी एक पुस्तक प्रकाशित होने जा रही है। साथ ही इस उपकरण के पेटेंट के लिए भी मैंने आवेदन किया है। लाइट ट्रैप का उपयोग कर किसानों की उत्पादन लागत में काफी कमी आ सकती है। इसके साथ ही कीटनाशकों का उपयोग कम होने से प्रदूषण से राहत मिल सकती है एवं खेती की जमीन का स्तर ऊंचा उठ सकता है।  - चंद्रकांत कोली, मंडल कृषि अधिकारी, चिचगढ़

Tags:    

Similar News