राज्यसभा : शुरूआती दो सप्ताह में 50 में से 10 घंटे ही हुआ कामकाज

राज्यसभा : शुरूआती दो सप्ताह में 50 में से 10 घंटे ही हुआ कामकाज

Anita Peddulwar
Update: 2021-07-31 14:18 GMT
राज्यसभा : शुरूआती दो सप्ताह में 50 में से 10 घंटे ही हुआ कामकाज

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली।  पेगासस जासूसी और किसानों के मसले ने राज्यसभा के कामकाज को पूरी तरह प्रभावित किया है। राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू की तमाम अपीलों के बावजूद मानसून सत्र के शुरूआती दो सप्ताह में कामकाज के लिए निर्धारित 50 कामकाजी घंटे में से 40 घंटे बर्बाद हुए हैं। दो सप्ताह के दौरान राज्यसभा में कामकाज की उत्पादकता महज 21.6 प्रतिशत रही है।

संसद का मानसून सत्र 19 जुलाई से प्रारंभ हुआ है और इसे आगामी 13 अगस्त तक चलना है। राज्यसभा सचिवालय के मुताबिक मानसून सत्र के पहले सप्ताह में सदन की उत्पादकता 32.40 प्रतिशत रही थी, जो दूसरे सप्ताह में गिरकर 13.70 प्रतिशत पर आ गई। हालांकि सदन निर्धारित समय से एक घंटा 12 मिनट ज्यादा बैठा। बावजूद इसके दो सप्ताह के लिए तय 50 घंटे में से 39.52 घंटे विपक्ष के हंगामे की भेंट चढ़ गए। यह पहली बार हुआ जब राज्यसभा में व्यवधान के चलते दो सप्ताह के लिए निर्धारित 130 शून्यकाल और 87 विशेष उल्लेख के मसले सदन में उठाए नहीं जा सके और सचिवालय सदन में समय बर्बाद होने का हिसाब-किताब देने में लगा रहा।

शून्यकाल पर खर्च हुआ सिर्फ एक मिनट
प्रारंभ के दो सप्ताह के दौरान राज्यसभा की 9 बैठकें हुई, जिसमें से महज एक घंटा 38 मिनट प्रश्न काल चला और एक घंटा 24 मिनट के विधायी कार्य में 4 विधेयक पारित हुए। 50 कामकाजी घंटे में से सिर्फ एक मिनट ही शून्यकाल के रूप में चल सका तो विशेष उल्लेख के मसले उठाने पर चार मिनट खर्च हुए हैं। कोरोना महामारी के मसले पर 4 घंटे 37 मिनट की चर्चा हुई है।

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