हाईकोर्ट से काटोल नगर परिषद के जनप्रतिनिधियों को राहत

हाईकोर्ट से काटोल नगर परिषद के जनप्रतिनिधियों को राहत

Anita Peddulwar
Update: 2020-12-16 08:46 GMT
हाईकोर्ट से काटोल नगर परिषद के जनप्रतिनिधियों को राहत

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने प्रदेश  नगर विकास मंत्रालय के 4 दिसंबर के उस आदेश पर स्थगन लगाया है जिसके तहत मंत्रालय ने काटोल नगर परिषद अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और 18 नगरसेवकों को अपात्र करार दिया था। इन सभी पर नगर परिषद के कामकाज में आर्थिक गड़बड़ी के आरोप है। न्या. मनीष पितले की खंडपीठ ने यह अंतरिम आदेश जारी करके राज्य सरकार, नगरविकास राज्यमंत्री प्राजक्त तनपुरे व अन्य को 6 सप्ताह में जवाब मांगा है।

हाईकोर्ट के इस फैसले से नगराध्यक्ष वैशाली ठाकुर, उपाध्यक्ष जितेंद्र तुपकर, सत्तादल नेता चरणसिंह ठाकुर, नगरसेवक मीराबाई उमप, श्वेता डोंगरे, किशोर गाढवे, शालिनी बनसोड, माया शेरेकर, राजू चरडे, लता कडू, सुभाष कोठे, संगीता हरजाल, सुकुमार घोडे, वनिता रेवतकर, देवीदास कठाणे, शालिनी महाजन, प्रसन्ना श्रीपतवार, जयश्री भुरसे, मनोज पेंदाम, हेमराज रेवतकर, तानाजी थोटे को राहत मिली है। मामले में याचिकाकर्ता की ओर से एड. मोहित खजांची और एड. महेश धात्रक ने पक्ष रखा।

यह है मामला
नगर परिषद संदीप नानाजी वंजारी ने मंत्रालय में यह शिकायत की थी। आरोप था कि एकात्मिक गृहनिर्माण व झोपड़पट्टी सुधार कार्यक्रम के तहत हेटी में बनाए गए 130 घरों में से सिर्फ 90 घर असली लाभार्थियों को दिए गए। शेष 40 घर राजकीय हितसंबंधियों को आवंटित किए गए। यह मुद्दा वर्ष 2017 के राज्य अधिवेशन में उठा था। जिसके बाद विभागीय आयक्त कार्यालय ने मामले में जांच बैठाई थी। जांच में दोषी पाए जाने पर नगरविकास राज्य मंत्री प्राजक्त तनपुरे ने आरोपियों को अपात्र करार दे दिया था। जिसे उन्होंने हाईकोर्ट में चुनौती दी।

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