आरक्षण से भरी जाएंगी 78 % सीटें, ओपन कोटा महज 22 %

आरक्षण से भरी जाएंगी 78 % सीटें, ओपन कोटा महज 22 %

Anita Peddulwar
Update: 2019-05-14 07:32 GMT
आरक्षण से भरी जाएंगी 78 % सीटें, ओपन कोटा महज 22 %

डिजिटल डेस्क, नागपुर। यूनिवर्सिटी के शैक्षणिक सत्र 2019-20 के एडमिशन प्रोसेस में करीब 78 प्रतिशत सीटें आरक्षण के माध्यम से भरी जाएंगी। नागपुर विश्वविद्यालय के विविध विभागों और संलग्न कॉलेजों में पोस्ट ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों की करीब 25 हजार, तो अंडर ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों की करीब 1 लाख 25 हजार के सीटें हैं। विवि की प्रवेश प्रक्रिया में अब तक एससी-एसटी, ओबीसी, वीजेएनटी मिला कर 52 प्रतिशत सीटों पर आरक्षण होता था। राज्य सरकार ने 8 मार्च को जीआर जारी कर यूनिवर्सिटी को अपने यहां 16 प्रतिशत मराठा आरक्षण और 10 प्रतिशत सवर्ण आरक्षण लागू करने के निर्देश दे रखे हैं। ऐसे में अगले महीने यूनिवर्सिटी जो प्रोस्पेक्टस जारी करेगा, उसमें करीब 76 प्रतिशत सीटों पर आरक्षण होगा। महज 22 प्रतिशत सीटों पर ही खुले प्रवर्ग व अन्य स्टूडेंट्स को एडमिशन मिल सकेगा।

कहां कितनी सीटें
इस वर्ष नागपुर यूनिवर्सिटी से संलग्न कॉलजों में आर्ट्स की 40 हजार, कॉमर्स की 30 हजार, साइंस की 35 हजार, होम साइंस की 400 और होम इकोनॉमिक्स की 500 सीटें हैं। इसी तरह पीजी में एमए की 12 हजार 500 सीटेंं, एमएससी में  2000 सीटें, एमसीएम में 1200 सीटें, एमएसडब्ल्यू में 100 सीटें है। वहीं इंजीनियरिंग और फार्मसी की करीब 30 हजार सीटें सीईटी सेल के माध्यम से भरी जाती हैं। 

सवर्ण आरक्षण को लेकर भ्रम
केंद्र सरकार द्वारा सामान्य श्रेणी के आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण लागू किया है। जनरल श्रेणी के विद्यार्थी, जिनकी पारिवारिक आय 8 लाख रुपए प्रतिवर्ष से कम है, वे इस योजना के लिए लाभार्थी होंगे। राज्य सरकार ने 8 मार्च को जीआर जारी करके मराठा और सवर्ण आरक्षण लागू करने के निर्देश यूनिवर्सिटी को दिए थे। इस पर यूनिवर्सिटी ने मराठा आरक्षण पर तो हल निकाल लिया है। बस सवर्ण श्रेणी के आर्थिक रूप से कमजोर तबके (ईडब्लूएस) के लिए आरक्षण कैसे लागू करना है, इस पर संभ्रम है।

वो यूं कि इस ईडब्लूएस कोटे में प्रवेश देने के लिए सीटें बढ़ाने का प्रावधान है। सरकार ने अपने जीआर में कहीं भी यूनिवर्सिटी को सीटें बढ़ाने के आदेश नहीं दिए हैं। इसी को लेकर राज्य सरकार से यूनिवर्सिटी स्पष्टीकरण की मांग कर सकता है। यूनिवर्सिटी के अधिकारी भी स्पष्ट नहीं है कि यूनिवर्सिटी में इसी साल से सवर्ण आरक्षण लागू होगा या नहीं। अधिकारी भी इसको लेकर हां और ना के दो धड़ों में बंटे हुए हैं। इसलिए सवर्ण आरक्षण के मुद्दे पर यूनिवर्सिटी में फिलहाल वेट एंड वॉच की स्थिति है।

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