आयुर्वेद को बढ़ावा देने चिकित्सकों को मानसिकता बदलनी होगी : मोहन भागवत

आयुर्वेद को बढ़ावा देने चिकित्सकों को मानसिकता बदलनी होगी : मोहन भागवत

Anita Peddulwar
Update: 2018-10-22 10:29 GMT
आयुर्वेद को बढ़ावा देने चिकित्सकों को मानसिकता बदलनी होगी : मोहन भागवत

डिजिटल डेस्क, नागपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि, आयुर्वेद के नाम पर एलोपैथी का काम किया जाता है। आयुर्वेद को अपेक्षित प्रतिष्ठा नहीं मिलने का यह एक बड़ा कारण है। शुद्ध आयुर्वेद का प्रचार-प्रसार करने की सख्त आवश्यकता है। इसके लिए चिकित्सकों को अपनी मानसिकता बदलनी होगी। सुरेश भट सभागृह में सांडू आयुर्वेद गौरव समारोह में वे बोल रहे थे। कार्यक्रम में केंद्रीय आयुष राज्यमंत्री श्रीपाद नाईक, गोवा विधानसभा अध्यक्ष प्रमोद सावंत, शामराव सांडू, शशांक सांडू, सुरेश सांडू मंच पर उपस्थित थे। डॉ. भागवत ने कहा कि, आयुर्वेद चिकित्सकों को अपने शास्त्र का लोहा मनवाना होगा। आज दुनिया ने आयुर्वेद को अनुभव से स्वीकार किया है। उसे हम अपने जीवन में जाने-अंजाने में अपना रहे हैं।

आयुर्वेद मुख्य चिकित्सा पद्धति हो : नाईक
केंद्रीय आयुष राज्यमंत्री श्रीपाद नाईक ने कहा कि, आयुर्वेद को वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति के रूप में अनेक देशों ने स्वीकृत किया है। इसे मुख्य चिकित्सा पद्धति बनाने की दिशा में सरकार ने कदम आगे बढ़ाए हैं। आजादी के बाद नरेंद्र मोदी सरकार ने पहली बार आयुर्वेद को सम्मान दिलाने का काम किया है। स्वतंत्र आयुष मंत्रालय बनाकर देश-विदेश में प्रचार-प्रसार करने का बीड़ा उठाया है। आयुर्वेद को प्रतिष्ठा दिलाने के लिए हर राज्य में नेशनल इंस्टीट्यूट की स्थापना की जा रही है। आने वाले दिनों में आयुर्वेद के अच्छे दिन आने का उन्होंने विश्वास व्यक्त किया।

डॉ. रानडे आैर डॉ. शंकर किंजवडेकर सम्मानित
आयुर्वेद को प्रतिष्ठा दिलाने संपूर्ण जीवन आयुर्वेद को समर्पित करने वाले व्यक्तित्व डॉ. सुभाष रानडे और डॉ. शंकर किंजवडेकर को सांडू आयुर्वेद गौरव पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

यह भी हुए सम्मानित
वैद्य उपेंद्र दीक्षित, वैद्य महेंद्र शर्मा, वैद्य ज्योतिशंकर त्रिपाठी, वैद्य संतोष  नेवपुरकर, वैद्य सतीश भट्टड़।

डॉ. कापरे को प्रथम सांडू सुश्रृत पुरस्कार
आयुर्वेद चिकित्सा क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वालों को इस वर्ष से सांडू सुश्रृत पुरस्कार शुरू किया गया है। डॉ. मदन कापरे को प्रथम सांडू सुश्रृत पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्हें पुरस्कार स्वरूप शाल-श्रीफल, सम्मानपत्र और धन्वंतरि माता की प्रतिमा भेंट दी गई।
 

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