RSS अपने स्वयंसेवकों को पढ़ा रहा है राजनीति के पाठ, सुनील देवधर भी आएंगे

RSS अपने स्वयंसेवकों को पढ़ा रहा है राजनीति के पाठ, सुनील देवधर भी आएंगे

Anita Peddulwar
Update: 2018-05-17 06:45 GMT
RSS अपने स्वयंसेवकों को पढ़ा रहा है राजनीति के पाठ, सुनील देवधर भी आएंगे

डिजिटल डेस्क, नागपुर। आरएसएस का तृतीय वर्ष प्रशिक्षण वर्ग शिविर रेशमबाग में शुुरू हो गया है। संघ के वरिष्ठ पदाधिकारियों के मार्गदर्शन में चल रहे इस शिविर में स्वयंसेवकों को संघ के सैद्धांतिक व वैचारिक ज्ञान का पाठ सिखाया जा रहा है। एक संघ पदाधिकारी के अनुसार देश में बदल रही राजनीतिक सामाजिक स्थिति युवाओं को प्रभावित कर रही है। लिहाजा प्रशिक्षण शिविर में विविध वक्ताओं के माध्यम से जो जानकारी दी जा रही है, उसमें पूर्वांचल में राजनीतिक बदलाव का मामला भी शामिल है। स्वयंसेवकों को सेवा कार्य के साथ ही राजनीतिक कार्यों पर ध्यान देने के लिए कहा जा रहा है। इस बीच संघ के राजनीतिक मामलों के विशेष रणनीतिकार सुनील देवधर भी स्वयंसेवकों को मार्गदर्शन करने पहुंच सकते हैं।

तृतीय वर्ष प्रशिक्षण शिविर इसलिए भी है महत्वपूर्ण
गौरतलब है कि संघ के तृतीय वर्ष प्रशिक्षण शिविर का स्वयंसेवकों के लिहाज से काफी महत्व रहता है। प्रथम व द्वितीय वर्ष प्रशिक्षण वर्ग विविध राज्यों में होते रहते हैं, लेकिन तृतीय वर्ष का शिविर नागपुर में ही होता है। प्रशिक्षण कार्य के इस पड़ाव को सामान्य शब्दों में ग्रेजुएशन की पढ़ाई कहा जा सकता है। हालांकि संघ की ओर से कोई पदवी या डिग्री नहीं दी जाती है, लेकिन तृतीय वर्ष प्रशिक्षण वर्ग कर चुके स्वयंसेवक को संघ के संगठनात्मक मामलों में काम करने का मौका मिलता है। तृतीय वर्ष के प्रशिक्षार्थी आमतौर तहसील या जिला स्तर के स्वयंसेवक रहते हैं। इनमें शिक्षा, वकील, पत्रकार, किसान, सीए, इंजीनियर, डॉक्टर से लेकर विविध क्षेत्र के युवा शामिल रहते हैं। इस बार प्रशिक्षण वर्ग में 708 स्वयंसेवक शामिल हुए हैं। 25 दिन तक चलनेवाले इस वर्ग के समापन कार्यक्रम को सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत संबोधित करेंगे।

देवधर का व्याख्यान 20 को
सुनील देवधर का व्याख्यान 20 मई को बालाजी नगर मानेवाड़ा मार्ग पर होगा। ‘बदलता भारत-बदलता पूर्वांचल’ विषय पर वे पूर्वांचल की स्थिति पर प्रकाश डालेंगे। बंगाली एजुकेशन सोसायटी के अध्यक्ष डॉ. तपन चक्रवर्ती अध्यक्षता करेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी में भाजपा के चुनाव प्रमुख रहे हैं। 2014 में त्रिपुरा के चुनाव प्रमुख बनाए गए। मुंबई निवासी देवधर ने कम समय में त्रिपुरा में सत्ता परिवर्तन में जो योगदान दिया, उसे संघ व भाजपा ने सराहा था। फिलहाल संघ के तृतीय वर्ष प्रशिक्षण वर्ग में देवधर के शामिल होने की अधिकृत जानकारी नहीं मिल पाई है।

पूर्वांचल का महत्व क्यों
संघ पदाधिकारी के अनुसार पूर्वांचल में राजनीतिक बदलाव के लिए संघ को काफी संघर्ष करना पड़ा है। संघ जिन विचारों व सिद्धांतों के साथ राष्ट्रसेवा के कार्य में जुटा है, उन्हें पूर्वांचल में अधिक चुनौती मिलती रही है। विदेशी घुसपैठ के अलावा भारतीय नागरिकों पर अन्याय के मामले देश व समाज के लिए चिंता का विषय बने हैं। नक्सल व उग्रवादी संगठन विविध षड़यंत्रों को अंजाम देने के लिए भारतीय समाज को आघात पहुंचाने लगते हैं। संघ के लिहाज से भारतीय समाज यानी हिंदू है। पूर्वांचल की चुनौती दक्षिण भारत के विविध राज्याें में भी मिलती है। केरल में संघ व भाजपा कार्यकर्ताओं के विरोध में हिंसा का विषय भी पूर्वांचल की चुनौती से जुड़ा है। इन दिनों संघ की स्वीकार्यता देश के विविध राज्यों में हो चुकी है। जिन क्षेत्रों में संघ विचारों व कार्यों को अधिक मजबूती के साथ स्थापित कराना है, वहां राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के मामले में जानकार स्वयंसेवकों की आवश्यकता है। इसलिए स्वयंसेवकों को वर्तमान राजनीतिक स्थिति के अनुरूप कार्य करने के लिए तैयार किया जाएगा।

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