‘कोरोना वारियर्स’ के जज्बे को सलाम, कोरोना वॉर्ड में थी ड्यूटी,खुद अपना नाम दिया
‘कोरोना वारियर्स’ के जज्बे को सलाम, कोरोना वॉर्ड में थी ड्यूटी,खुद अपना नाम दिया
डिजिटल डेस्क, नागपुर। हिम्मत और जज्बे का नाम है ‘कोरोना वारियर्स’। जिस संक्रमण का नाम सुनते ही लोग कांप रहे हैं, उससे संक्रमित मरीजों के बीच रहना हिम्मत का ही काम है। सिर्फ रहना ही नहीं, उनका हर ख्याल भी रखना है। उनकी हौसला आफजाई भी करनी है और इसके लिए दोगुने हिम्मत और जज्बे की जरूरत है। ऐसे मरीजों के साथ पूरे समय रहने वाले ‘कोरोना वारियर्स’ जब ड्यूटी पूरा कर घर आते हैं, तो किसी ‘जंगी-योद्धा’ की तरह उनका स्वागत हो रहा है। क्रम और व्यवस्था के अनुसार, कभी-कभी 20-25 दिन भी घर वापसी में लग रहे हैं। ऐसी है एक ‘कोरोना वारियर्स’ नर्स (अधिपरिचारिका) ने अनुभव साझा किया। वह 26 दिन बाद घर लौटी। खास बात यह है कि नर्स स्वाति कोलकर ने खुद ‘कोरोना वारियर्स’ के रूप में अपना नाम आगे किया था। हालांकि कई लोगों ने मना भी किया था। रोटेशन के अनुसार, अब 15 दिन बाद उनका क्रम आएगा
वारियर्स की दोहरी लड़ाई
स्वाति कोलकर ने बताया कि हमें ड्यूटी पर दोहरी लड़ाई लड़नी पड़ती है। एक तरफ पूरी तरह से कोरोना मरीजों की सेवा, तो दूसरी तरफ अपनी भी हिफाजत। घंटों पीपीई किट में रहना पड़ता है। प्यास लगने पर पानी भी नहीं पी पाते थे। रिलीवर के आने के बाद ही हम कुछ कर पाते थे।