पत्नी को अच्छा खाना बनाने के लिए कहना कोई जुर्म नहीं : हाईकोर्ट

पत्नी को अच्छा खाना बनाने के लिए कहना कोई जुर्म नहीं : हाईकोर्ट

Tejinder Singh
Update: 2018-08-06 15:15 GMT
पत्नी को अच्छा खाना बनाने के लिए कहना कोई जुर्म नहीं : हाईकोर्ट

डिजिटल डेस्क, मुंबई। पत्नी को ठीक से खाना बनाने के लिए और घर को संभालने के लिए कहना दुर्व्यवहार व अत्याचार के दायरे में नहीं आता है। बांबे हाईकोर्ट ने पत्नी को आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में आरोपी पति व उसके माता-पिता को बरी करने को लेकर दिए गए फैसले में यह राय व्यक्त की है। सागली पुलिस ने आरोपी विजय शिंदे (पति) और उसके माता-पिता के खिलाफ इस मामले को लेकर भारतीय दंड संहिता की धारा 498ए,34 व 306 के तहत मामला दर्ज किया था। पुलिस ने जांच के बाद सागली कोर्ट में तीनों के खिलाफ आरोप-पत्र दायर किया था। सागली कोर्ट ने तीनों आरोपियों को 2002 में मामले से बरी कर दिया था।

निचली अदालत के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार ने बांबे हाईकोर्ट में अपील की थी। सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने दावा किया था  पीड़िता ने  ससुरारल वालों का प्रातड़ना व दुर्व्यवहार से तंग आकर आत्महत्या की है।पीडिता को खाना ठीक ढंग से न बनाने के नाम पर प्राताड़ित किया जाता था। इसके साथ ही पीड़िता के पति का किसी दूसरी महिला के साथ भी अवैध संबंध थे। जिसके चलते पीड़िता ने जहर पीकर आत्म हत्या की है। अभियोजन पक्ष ने अपने दावे के लिए पीड़िता की पोस्टमार्टम रिपोर्ट को आधार बनाया। जस्टिस सारंग कोतवाल के सामने अपील पर सुनवाई हुई।

मामले से जुड़े तथ्यों पर गौर करने के बाद जस्टिस ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपियों पर लगे आरोपों के संबंध में पर्याप्त सबूत नहीं पेश कर पाया है। पीड़िता के घरवालों ने भी उसे समझाया था कि वह घर का काम ठीक ढंग से करे। जहां तक बात पति के अवैध संबंध है तो इस विषय पर सिर्फ संदेह व्यक्त किया गया है। इसको लेकर न तो कोई जांच हुई है और न ही सबूत अदालत में पेश किया है। जहां तक बात पत्नी को ठीक ढंग से खाना बनाने के लिए कहने की है और घर व्यवस्थित रखने की अपेक्षा की है तो इसे दुर्व्यवहार व अत्याचार के दायरे में नहीं गिना जा सकता है। यह कहते हुए निचली अदालत के आदेश में हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया। 

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