किन्नरों के प्रति मानसिकता बदलने करनी होगी पहल , भेदभाव समाजिक दोष-गिरीश गांधी

किन्नरों के प्रति मानसिकता बदलने करनी होगी पहल , भेदभाव समाजिक दोष-गिरीश गांधी

Anita Peddulwar
Update: 2018-10-04 08:37 GMT
किन्नरों के प्रति मानसिकता बदलने करनी होगी पहल , भेदभाव समाजिक दोष-गिरीश गांधी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिकता को कानूनी संरक्षण दिया है, लेकिन तृतीयपंथी की ओर देखने का समाज का नजरिया ठीक नहीं है। इसे बदलने के लिए भी पहल करनी होगी। वनराई के अध्यक्ष गिरीश गांधी ने यह विचार व्यक्त किए।

"समलैंगिकता : बदलता नजरिया : उच्चतम न्यायालय और समाज" चर्चासत्र  
चर्चासत्र के अवसर पर अध्यक्षीय भाषण में उन्होंने कहा कि किन्नर भी समाज का एक हिस्सा है। उनके साथ भेदभाव सामाजिक दोष है। इसे दूर करने के लिए समाज की मानसिकता बदलनी होगी। उनके अधिकारों के लिए लड़ने वाले व्यक्ति और संगठनों को समाज के विरोध का सामना करना पड़ता है। पराजय ही सामाजिक परिवर्तन की लड़ाई का इतिहास रहा है। लाख मुश्किलों का सामना करने पर ही सफलता मिलती है। इसे अपने पाले में डालने के लिए अपने-आप को तैयार रखने की सलाह भी उन्होंने दी। समारोह में बतौर प्रमुख अतिथि एचआईवी स्पेशलिस्ट डॉ. मिलिंद भृशुंडी, विधायक डॉ. मिलिंद माने, सारथी ट्रस्ट के सीईओ निकुंज जोशी, ट्रांसजेंडर प्रतिनिधि विद्या कांबले, प्रेस क्लब के अध्यक्ष प्रदीप मैत्र आदि मंच पर उपस्थित थे। विधायक माने ने कहा कि लंबी लड़ाई लड़ने के बाद धारा-377 रद्द हुई है। अब अगली लड़ाई अपने अधिकारों के लिए लड़नी होगी। ताकि भविष्य में स्वाभिमान से जीने का अवसर मिल सके।

जनजागण ही एकमात्र उपाय
डॉ. भृशुंडी ने बताया कि एचआईवी की सबसे अधिक समस्या 15 से 24 आयुवर्ग और किन्नरों में है। समाज को उनकी भावनाओं का पता नहीं है। उनकी भावनाओं को समझ कर उपाय योजना करने की आवश्यकता है। तभी उनकी समस्याओं का हल हो सकता है। जोशी ने समाज की मानसिकता बदलने के लिए जनजागरण को ही एकमात्र उपाय बताया। ट्रांसजेंडर प्रतिनिधि विद्या कांबले ने अपने समुदाय की समस्याओं से अवगत कराते हुए बताया कि, प्लेटफार्म नहीं मिलने से ट्रांसजेंडर विकास के प्रवाह से दूर है, इस पर उन्होंने खेद भी व्यक्त किया। हालांकि सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए, उनकी समस्याओं पर आवाज उठाने के लिए चर्चासत्र का आयोजन किए जाने पर आभार व्यक्त किया। प्रस्तावना रखते हुए प्रदीप मैत्र ने समलैंगिकों की विविध समस्या हल करने और भविष्य में भी साथ देने का आश्वासन दिया। संचालन वर्षा पाटील ने किया। अंत में उपस्थितों के प्रश्नों का उत्तर देकर समाधान किया गया।

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