वरिष्ठ अधिकारी कर रहे स्ट्रांग रूम की जांच, 14 कलेक्टर को दी जा रही प्रतिदिन रिपोर्ट

वरिष्ठ अधिकारी कर रहे स्ट्रांग रूम की जांच, 14 कलेक्टर को दी जा रही प्रतिदिन रिपोर्ट

Anita Peddulwar
Update: 2019-04-22 10:25 GMT
वरिष्ठ अधिकारी कर रहे स्ट्रांग रूम की जांच, 14 कलेक्टर को दी जा रही प्रतिदिन रिपोर्ट

डिजिटल डेस्क, नागपुर। नागपुर व रामटेक लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र की ईवीएम मशीनें वोटिंग के बाद कलमना यार्ड में तैयार किए गए स्ट्रॉग रूम में रखी गई हैं। यहां तीन स्तरीय सुरक्षा घेरा है। हालात व सुरक्षा का जायजा लेने के लिए 14 वरिष्ठ अधिकारियों की नियुक्ति की गई है। जांच रिपोर्ट हर दिन जिलाधीश को सौंपी जा रही है।

निरीक्षण तय समय सीमा में ही करना होगा
इन अधिकारियों में अतिरिक्त जिलाधीश के अलावा जिला परिषद के उपमुख्य कार्यकारी अधिकारी व उपविभागीय अधिकारी  हैं।  सुबह 8 से 10 दो घंटे सात वरिष्ठ अधिकारी स्ट्रांग रूम परिसर का निरीक्षण करेंगे। रात 8 से 10 दो घंटे एसडीओ स्तर के अधिकारी स्ट्रांग रुम को भेंट देकर सुरक्षा का जायजा लेंगे। इसके लिए 10 प्रश्नों की एक अंकपत्रिका तैयार की गई है। इसमें स्ट्रांग रूम के  परिसर से पुलिस, सीआरपीएफ, सीसीटीवी मशीन, सुरक्षा में तैनात जवानों के लिए पीने के पानी की व्यवस्था व भोजन  व्यवस्था का गुणांकन है। इसकी रिपोर्टींग उसी दिन जिलाधीश को करनी है। यह जांच तय समय में अधिकारियों को करनी है। 22 मई तक यह "शेड्यूल' बना रहेगा।

कलमना यार्ड को छावनी का रूप 
कलमना यार्ड में  नागपुर व रामटेक लोकसभा चुनाव की ईवीएम मशीनें  दो गोदामों में रखी गई हैं।  स्ट्रांग रूम व परिसर की चाक-चैाबंद सुरक्षा है। परिसर को पुलिस छावनी में तब्दील किया गया है।  गोदाम के दो दरवाजे सीमेंट कांक्रीट से बंद कर दिए गए हैं। एक ही गेट है आैर यहां बड़ा ताला जड़ा हुआ है। दोनों गोदामों के चारों और पुलिस के हथियारबंद जवान तैनात हैं। केंद्रीय बल, राज्य आरक्षी बल व स्थानीय पुलिस के जवान, इस तरह तीन स्तरीय सुरक्षा घेरा है। चारों दिशाओं में सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं। जिस स्ट्रांग रूम में ईवीएम मशीनें रखी गई हैं, वहां प्रकाश व्यवस्था नहीं है। वहां किसी तरह की इलेक्ट्रिक वायरिंग नहीं रखी गई है। 

पर्चियां बांटने में सामने आई खामियां
वोटरों को मतदान के दिन तक वोटर पर्चियां नहीं पहुंचने का मामला सामने आया था। बूथ पर पहुंचे वोटर मतदान केंद्र परिसर में ही लगे टेबलों पर अपने नाम की वोटर पर्चियां ढूंढ रहे थे, जिन्हें यह पर्चियां बांटने की जिम्मेदारी दी गई थी, वे दबी जुबान में बोल रहे थे कि, महज दो दिन पहले पर्चियां मिलने से बांटने में बड़ी परेशानी हुई। शहर के हर मतदान केंद्र पर टेबल लगाकर पर्चियां बांटने का काम हो रहा था। जो पर्चिंयां रह गईं, उसे वोटरों को दिया, ऐसा करने की तैयारी हो रही है। इसके लिए कर्मचारी खुद ही साइन कर पर्ची देने की पुष्टि कर रहे हैं। चुनाव आयोग के निर्देशानुसार पांच दिन पहले पर्चियां कर्मचारी को मिलनी चाहिए आैर ज्यादा से ज्यादा वोटरों तक पहुंचनी चाहिए। वोटर पर्ची के मामले ने तूल पकड़ा तो कर्मचारियों को बली का बकरा बनाया जा सकता है। 

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