मार्कण्डेय के सरसी में लैंड होगा टूरिज्म का सी-प्लेन, हनुवंतिया से भी कई गुना बेहतर संभावनाएं

मार्कण्डेय के सरसी में लैंड होगा टूरिज्म का सी-प्लेन, हनुवंतिया से भी कई गुना बेहतर संभावनाएं

Bhaskar Hindi
Update: 2018-09-24 08:57 GMT
मार्कण्डेय के सरसी में लैंड होगा टूरिज्म का सी-प्लेन, हनुवंतिया से भी कई गुना बेहतर संभावनाएं

डिजिटल डेस्क सतना। बाणसागर बांध बनने के बाद भले ही मार्कण्डेय आश्रम के पास स्थित पुरातन सरसी गांव डैम की अतल गहराईयों में समा गया हो, लेकिन 40 किलोमीटर से भी अधिक दूरी तक लहराती जलराशि के बीच सरसी टापू आज भी बीरान हो चुके गांव की कहानी कह रहा है।  14 जनवरी 2016 को जब खनिज एवं उद्योग मंत्री राजेन्द्र शुक्ल छोटी नौका में सवार होकर सरसी टॉपू पहुंचे तो उनके मुंह से यह निकला कि यह जगह तो हनुवंतिया से भी कई गुना अधिक बेहतर है। दो नदियों के संगम पर बांध के बीच में उभरे सौ हेक्टेयर के सरसी टॉपू को हनुवंतिया की तर्ज पर विकसित करके पर्यटकों को यहां तक ले आने की योजना का सूत्रपात उसी दिन हुआ। उन दिनों बनाई गई योजना के मुताबिक मार्कण्डेय आश्रम से लेकर सरसी टॉपू तक इस तरह की संरचनाओं का निर्माण किया जाना है, जिससे कि देशी और विदेशी पर्यटक न केवल यहां तक आएं, वरन समुद्र जैसे बाणसागर के बीच टॉपू पर दो-चार दिन बिता भी सकें।

जारी हो चुकी है निविदा
स्वदेश दर्शन योजना से जुड़ी इस 110 करोड़ की समग्र परियोजना के प्रथम चरण में भारत सरकार द्वारा 12 करोड़ रूपए मंजूर किए गए हैं। सबसे पहले ऐतिहासिक मार्कण्डेय घाट पर बोट स्टैंड का निर्माण किया जाएगा। इसी के साथ घाट से ऊपर वन विभाग से एक हेक्टेयर जमीन प्राप्त कर पर्यटकों के लिए कैफेटेरिया रिसॉर्ट और कुछ हट बनाई जाएंगी। बोट स्टैंड बनने के बाद डैम में स्टीमर, मोटर बोट भी चलाई जा सकेंगी, जो सरसी टॉपू तक पर्यटकों को ले जाएंगी। पर्यटन निगम के कार्यपालन यंत्री डीएस परिहार का कहना है कि इन कामों के लिए टेंडर काल किए गए हैं और टूरिज्म के लिए काम करने वाली एक कम्पनी को टेंडर मिल भी चुका है। जमीन अधिग्रहण का मामला आखिरी चरण में है। अवरोध समाप्त होते ही तत्काल निर्माण कार्य प्रारंभ कर दिया जाएगा।

पौराणिक मान्यताएं
ऐसा नहीं है कि मार्कण्डेय आश्रम से लेकर सरसी टॉपू तक केवल आज की परिस्थितियों में ही आकर्षण बढ़ा है। मार्कण्डेय उन महर्षियों में से हैं, जिन्होंने मृत्यु पर विजय प्राप्त की है और अजर-अमर माने जाते हैं। उन्होंने मार्कण्डेय पुराण सहित 6 पुराणों की रचना भी की है। जिस जगह पर सरसी टॉपू है उसी के करीब दो दशक पहले तक मार्कण्डेय आश्रम हुआ करता था। वहां की मूर्तियां उठाकर घाट के ऊपर विंध्याटवी की गोद में रख दी गई हैं, जहां मंदिरों का निर्माण भी किया जा चुका है। इस स्थल पर प्रतिवर्ष मकरसंक्रांति और बसंत पंचमी तथा नवरात्रि के दिनों में मेला भरता है। यहां पर्यटकों के आने से इस अंचल की पौराणिक समृद्धि के भी नए सिरे से पुष्पित-पल्लवित होने की संभावना है।

क्या है योजना
मार्कण्डेय आश्रम के पास जहां एक हेक्टेयर जमीन में कैफेटेरिया और रेस्ट हाउस अभी बनाए जाने हैं, वहीं सरसी टॉपू का विस्तार दूसरे चरण में किए जाने की योजना है। योजना के मुताबिक देवलौंद से सरसी टॉपू तक पर्यटकों को सी-प्लेन अथवा स्टीमर या कि मोटर बोट से यात्रा कराई जाएगी। सरसी टॉपू में पर्यटकों के विश्राम के लिए होटल और रेस्टॉरेंट के साथ ही अलग-अलग हट बनाई जाएंगी। सरसी टॉपू के चारों ओर जहां बाणसागर की अतल गहराईयों में सैकड़ों मछलियां, मगर और कछुए मौजूद हैं, जो समय-समय पर टॉपू पर आकर धूप सेंकते हैं। वहीं टॉपू के चारो ओर हरे-भरे पौधे भी लगाने की योजना है।

इनका कहना है
हनुवंतिया की तर्ज पर बाणसागर डैम के बीच स्थित सरसी टॉपू को पीपीपी मोड पर विकसित किया जाना है। इस काम का जिम्मा मप्र. पर्यटन निगम को दिया गया है। योजना के मुताबिक देवलौंद से सरसी टॉपू तक क्रूज और सी-प्लेन चलाए जाने का भी प्रस्ताव है। 100 हेक्टेयर के टॉपू पर रिसॉर्ट, टूरिस्ट हट व रेस्ट हाउस आदि बनाए जाने हैं। इस योजना के प्रथम चरण में मार्कण्डेय घाट को विकसित करने के लिए कार्य प्रारंभ कर दिए गए हैं।
राजेन्द्र शुक्ल खनिज एवं उद्योग मंत्री

 

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