शिवसेना विधायक क्षीरसागर को हाईकोर्ट से मिली राहत

शिवसेना विधायक क्षीरसागर को हाईकोर्ट से मिली राहत

Anita Peddulwar
Update: 2019-04-05 12:22 GMT
शिवसेना विधायक क्षीरसागर को हाईकोर्ट से मिली राहत

डिजिटल डेस्क,मुंबई। ठोस आधार व पर्याप्त सबूतों के बिना चुनाव को रद्द करने का परिणाम लोकतंत्र की शिथिलता के रुप में नजर आएगा। यह टिप्पणी करते हुए बॉबे हाईकोर्ट ने शिवसेना विधायक राजेश क्षीरसागर को राहत प्रदान की है। साल 2014 में  हुए चुनाव के बाद कोल्हापुर उत्तर से विधायक चुने गए  क्षीरसागर की सदस्यता रद्द किए जाने की मांग को लेकर कांग्रेस के उम्मीदवार सत्यजीत कदम ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। जिसे न्यायमूर्ति साधना जाधव ने सुनवाई के बाद खारिज कर दिया है। 

याचिका में दावा किया गया था कि क्षीरसागर ने जब चुनाव के लिए अपना नामंकन फार्म भरा था तो उसमें खुद के खिलाफ दर्ज तीन आपराधिक मामलों की जानकारी नहीं दी थी। जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत हर उम्मीदवार को अपनी संपत्ति,शैक्षणिक योग्यता व दर्ज आपराधिक मामलों की जानकारी देने अनिवार्य किया गया है। हर नागरिक का यह मौलिक अधिकार है कि जिसे वह अपना मत देनेवाला है। उसकी पृष्ठभूमि क्या है? लेकिन क्षीरसागर ने खुद के खिलाफ दर्ज अपराध की जानकारी न देकर नागरिकों के मौलिक अधिकार का उल्लंघन किया है। वहीं याचिका का विरोध करते गुए क्षीरसागर की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता एएस राव ने कहा कि मेरे मुवक्किल के खिलाफ कौन से अपराध दर्ज है। कोर्ट ने इन अपराधों का संज्ञान लिया है कि नहीं? इन अपराधों को लेकर मेरे मुवक्किल के खिलाफ  आरोप तय किए गए है की नहीं। इसका याचिका में उल्लेख नहीं है।

दर्ज मामलों में किन प्रकरणों में दो साल से ज्यादा की सजा का प्रावधान है। इसका भी उल्लेख नहीं है। जिस आधार पर चुनाव को निरस्त करने की मांग की गई है उसको लेकर याचिका के साथ पर्याप्त सबूत नहीं जोड़े गए हैं। इसके अलावा जब मेरे मुवक्किल ने नामांकन फार्म भरा तो उस समय निर्वाचन अधिकारी के सामने आपराधिक मामलों की जानकारी के संबंध में कोई आपत्ति नहीं दर्ज कराई गई थी। मेरे मुवक्किल के खिलाफ दायर याचिका स्पष्ट नहीं है। इसलिए इसे खारिज कर दिया जाए। मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायमूर्ति जाधव ने कहा कि ठोस आधार व पर्याप्त सबूत के बिना चुनाव परिणाण को रद्द करने का परिणाम लोकतंत्र की शिथिलता के रुप में सामने आएगा। हम याचिका में जरुरी जानकारी न होने की बात को नजर अंदाज नहीं कर सकते है।  यह कहते हुए न्यायमूर्ति ने याचिका को खारिज कर दिया। 

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