विदर्भ में सियासी जमीन तलाश रही शिवसेना, कार्य समीक्षा के लिए आएंगे उद्धव

विदर्भ में सियासी जमीन तलाश रही शिवसेना, कार्य समीक्षा के लिए आएंगे उद्धव

Tejinder Singh
Update: 2018-05-07 11:27 GMT
विदर्भ में सियासी जमीन तलाश रही शिवसेना, कार्य समीक्षा के लिए आएंगे उद्धव

डिजिटल डेस्क, नागपुर। अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुकी शिवसेना विदर्भ में पैंठ जमाने का प्रयास कर रही है। पिछले चुनावों के परिणाम देखें जाएं तो यह सहज की कहा जा सकता है कि यहां शिवसेना की राजनीतिक जमीन सूखती जा रही है। कहने को शिवसेना के चार सांसद अभी भी विदर्भ से जीते हैं। लेकिन विधायकाें की संख्या घटती जा रही है। स्थानीय निकायों के चुनावों में भी कुछ क्षेत्रों को छोड़ दिया जाए, तो शिवसेना को उम्मीदवार तक नहीं मिल पाता है। संपर्क प्रमुख संगठन बढ़ाने के लिए प्रयास करते रहते हैं, फिर भी सफलता नहीं मिल पाती है। लिहाजा, लोकसभा व विधानसभा चुनाव की तैयारी व संगठन कार्य की समीक्षा के लिए शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे 11 मई को आनेवाले हैं। विदर्भ से शिवसेना कोटे के राज्यमंत्री संजय राठोड, परिवहन मंत्री व नागपुर के संपर्क प्रमुख दिवाकर रावते समेत सभी जिलाें के संपर्क प्रमुख, जिला प्रमुख के अलावा उद्धव के किचन केबिनेट के नेता माने जानेवाले लोकसभा सदस्य अरविंद सावंत एवं शिवसेना नेता मिलिंद नार्वेकर उनके साथ रहेंगे।

लोकसभा चुनाव में मिली थी सफलता

विदर्भ में लोकसभा की 10 सीटें हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा से गठबंधन के तहत शिवसेना को 4 स्थान पर लड़ने का मौका मिला था। शिवसेना ने चाराें सीट ली थी। रामटेक, अमरावती, यवतमाल-वाशिम और बुलढाणा में शिवसेना के सांसद हैं। 2014 के विधानसभा चुनाव के परिणाम देखे जाएं, तो शिवसेना के विधायकों की संख्या घट गई। विदर्भ में विधानसभा की 62 सीटों में शिवसेना को भाजपा गठबंधन के तहत कम सीटों पर ही लड़ने का मौका मिलता था। फिर भी उसके 8-9 उम्मीदवार जीत जाते थे। लेकिन 2014 में 4 उम्मीदवार ही जीते। शिवसेना के लिए अनुकुल समझे जानेवाले पश्चिम विदर्भ में 3 व पूर्व विदर्भ में 1 सीट शिवसेना ने जीती थी। जिला प्रमुख, सांसद की सिफारिश से तय किए गए उम्मीदवार कहीं चौथे, तो कहीं पांचवें स्थान पर रहे। ज्यादातर की जमानत जब्त हो गई। लिहाजा विदर्भ में बड़े पैमाने पर संगठनात्मक बदलाव का निर्णय शिवसेना नेे लिया। शिवसेना ने जिला स्तर पर पदाधिकारियों के चयन की सूची तैयार की थी। इससे पहले एक बैठक में उस सूची के नामों पर विचार किया गया। लेकिन सभी जिलों की प्रस्तावित पदाधिकारियों के नामों की सूची पर अंतिम मुहर नहीं लग पायी।

चुनौतियां

फिलहाल शिवसेना को विदर्भ में सभी जिलाें में संगठन तैयार करने व लोकसभा, विधानसभा के लिए उम्मीदवार तय करने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ेगी। लोकसभा के लिए 10 में 4 सीटों पर तो पार्टी के उम्मीदवार जीते हैं। लेकिन शेष 6 सीटों के लिए उम्मीदवार की तलाश रहेगी। यही नहीं भंडारा-गोंदिया लोकसभा के लिए इसी माह होने जा रहे उपचुनाव में भी शिवसेना उम्मीदवार तय किया जाएगा। राकांपा और भाजपा की ताकत के बीच शिवसेना को अपनी स्थिति सुधारने के लिए कम समय में अधिक मेहनत करनी पड़ेगी। यह भी बताया जा रहा है कि कांग्रेस से नाराज कुछ नेताओं को शिवसेना में लाने का प्रयास किया जाएगा। 

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