शिवराज सरकार का बड़ा फैसला, दुकानों और प्रतिष्ठानों के बोर्ड हिन्दी में होंगे

शिवराज सरकार का बड़ा फैसला, दुकानों और प्रतिष्ठानों के बोर्ड हिन्दी में होंगे

Bhaskar Hindi
Update: 2018-08-05 17:56 GMT
शिवराज सरकार का बड़ा फैसला, दुकानों और प्रतिष्ठानों के बोर्ड हिन्दी में होंगे

डिजिटल डेस्क, भोपाल। मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार अपने चुनावी एजेण्डा के तहत राज्यभर में दुकानों एवं प्रतिष्ठानों के साईन बोर्ड हिन्दी भाषा में लगाना अनिवार्य करने जा रही है। इसके लिए उसने श्रम विभाग के अंतर्गत प्रशासित मप्र दुकान एवं स्थापना अधिनियम 1958 के तहत वर्ष 1959 में बने नियमों में संशोधन प्रस्तावित कर दिया है तथा यह नया प्रावधान आगामी 9 सितम्बर, 2018 के बाद पूरे प्रदेश में प्रभावशील हो जाएगा।

मप्र दुकान एवं स्थापना नियम 1959 के नियम बीस में यह नया प्रावधान जोड़ा गया है। इसमें कहा गया है कि समस्त नियोजक जिनकी स्थापना मप्र दुकान एवं स्थापना अधिनियम 1958 में पंजीकृत है, स्थापना का नाम, नाम पट्टिका (साईन बोर्ड) में हिन्दी भाषा में भी प्रदर्शित करेंगे। दरअसल मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भोपाल में 10-12 सितम्बर 2015 को आयोजित दसवें विश्व हिन्दी सम्मेलन में घोषणा की थी कि दुकानों एवं प्रतिष्ठानों के साईन बोर्ड हिन्दी भाषा में लिखवाए जाएंगे। अब ग्यारहवां विश्व हिन्दी सम्मेलन तेरह दिन बाद 18-20 अगस्त 2018 को मारीशस देश के पोर्ट लुई में होने जा रहा है तथा इसीलिए राज्य सरकार ने अपनी इस घोषणा पर अमलीकरण प्रारंभ करने की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी है।

गौरतलब है कि प्रदेश में विशेषकर शहरों में ज्यादातर दुकानों एवं प्रतिष्ठानों के साईन बोर्ड अंग्रेजी भाषा में रहते हैं। चूंकि मप्र एक हिन्दी भाषी प्रदेश है, इसलिए हिन्दी को बढ़ावा देने के लिए यह कायदा स्थापित किया जा रहा है। इसके लिए मप्र दुकान एवं स्थापना अधिनियम 1958 एवं उसके नियमों का उपयोग किया गया है जिसमें अब तक यह प्रावधान नहीं था। नए प्रावधान में अंग्रेजी भाषा के साईन बोर्ड पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया है बल्कि साईन बोर्ड में दुकान एवं प्रतिष्ठान का नाम हिन्दी में भी उल्लेखित करने का प्रावधान किया गया है।

श्रम विभाग मप्र के उप सचिव भास्कर लाक्षाकार ने मामले में कहा, ‘भोपाल में आएजित विश्व हिन्दी सम्मेलन में सीएम द्वारा की गई घोषणा के अनुपालन में दुकानों एवं प्रतिष्ठानों के साईन बोर्ड हिन्दी में भी लिखा जाने को अनिवार्य करने के लिए नियमों में प्रावधान प्रस्तावित किया गया है जो 9 सितम्बर के बाद प्रभावशील किया जाएगा।’

 

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