नदी के दूषित पानी से बुझा रहे प्यास - देवरीदादर के नदी टोला की समस्या

नदी के दूषित पानी से बुझा रहे प्यास - देवरीदादर के नदी टोला की समस्या

Bhaskar Hindi
Update: 2019-04-04 08:48 GMT
नदी के दूषित पानी से बुझा रहे प्यास - देवरीदादर के नदी टोला की समस्या

डिजिटल डेस्क,मंडला। गर्मी की दस्तक के बाद  जिले भर में जलसंकट के हालात बन रहे है। मवई विकासखंड के गांवो में पेयजल की सुविधा नही होने के कारण  ग्रामीण नदी का गंदा पानी पी रहे है। ग्राम पंचायत देवरीदादर के नदीटोला के रहवासियों को नदी से प्यास बुझानी पड़ रही है। जानकारी के मुताबिक ग्राम पंचायत देवरीदादर  में एक कुआ है। गर्मी शुरू होते ही कुंआ सूख गया है। जिसके कारण अब ग्रामीणों को पेयजल के लिए कोई इंतजाम नही है। जिसके कारण ग्रामीण पानी की तलाश में भटक रहे है। ग्राम मेें शुद्ध पेयजल नही मिल पा रहा है। भीषण गर्मी में प्यास बुझाने के लिए ग्रामीणों को नदी का दूषित पानी पीना पड़ रहा हैै। ग्राम के कमल सैयाम, हजारी परस्ते, दलसिंह पट्टा, धनपत, अमरियाबाई, तितरूसिंह, भगवतिन बाई, कली बाई ने बताया है कि नदी का गंदा पानी ला रहे है। इससे संक्रामक बीमारिया फैलने का अंदेशा बना हुआ है। लेकिन बीमारी की आशंका होने के बाद भी ग्रामीणों के पास कोई दूसरा रास्ता नही है। जिससे पेयजल जुटा सके। ग्रामीणों की मांग है कि जिला प्रशासन इस ओर ध्यान दे। वनाचंल में जलसंकट से निपटने के लिए विभाग के द्वारा कार्ययोजना बनाई जाए। जिससे ग्रामीणों को बूंद-बूंद पानी के लिए भटकना नही पड़े।
एक किलोमीटर का सफर
ग्रामीणों के बताया है कि गंदे पानी  के लिए भी एक किलोमीटर दूर का सफर करना पड़ता है। बुढनेर जाकर पानी ला रहे है। गंदी के पास झिरिया बनाकर कटोरा से पानी का बर्तन भर रहे है। यहां दिन भर नदी से पानी ढोने के लिए महिलाएं और बच्चे लगे रहते है। भीषण गर्मी के दौर में पानी के लिए मसक्कत करनी पड़ रही है। पानी के लिए दूसरे काम और घर की महिलाएं मजदूरी के लिए तक नही जा पा रही है।
नहीं हो रही सुनवाई
यहां नदी टोला की समस्या को लेकर कोई भी गंभीर नही है। सरपंच दसिया बाई को भी जनता कई बार अवगत करा चुकी है। जनपद सदस्य अशोक बघेल ने कई बार पीएचई विभाग के अधिकारियों को भी समस्या से अवगत कराया है। लेकिन अभी तक जलसंकट से निपटने के लिए कोई इंतजाम नही हुये है। यहां तक की एक हैंडपंप तक टोला में नही लगाया गया है। जिससे ग्रामीण एक ही कुंआ के भरोसे है। कुंआ सूखने के बाद पानी के लिए दर-दर भटक रहे है।

 

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