नागपुर के सेंट्रल जेल के बाहर बनी छोटी जेल ,बाहरी कैदियों-आरोपियों को रखा जाएगा

नागपुर के सेंट्रल जेल के बाहर बनी छोटी जेल ,बाहरी कैदियों-आरोपियों को रखा जाएगा

Anita Peddulwar
Update: 2021-03-22 07:34 GMT
नागपुर के सेंट्रल जेल के बाहर बनी छोटी जेल ,बाहरी कैदियों-आरोपियों को रखा जाएगा

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बढ़ते कोरोना संक्रमण को देखते ही नागपुर की सेंट्रल जेल में आने वाले बाहरी कैदियों या आरोपियों को करीब सवा माह की प्रकिया पूरी कर उसे कैदियों के बैरक में रखा जाता है। इस दौरान उनकी कोरोना जांच से लेकर उनके स्वास्थ्य की तमाम बातों पर ध्यान जेल प्रशासन रखता है। कोरोना के संक्रमण से जेल अछूता नहीं रहा है। एक समय नागपुर सेंट्रल जेल में कैदियों में तेजी से कोरोना संक्रमण फैलने के बाद जेल प्रशासन परेशान हो गया था। मौजूदा समय में जेल प्रशासन बेहद सावधानी बरत रहा है।

क्वारेंटाइन सेंटर में  रखा जाता है
सूत्रों के अनुसार बाहरी कैदियों या आरोपियों को सेंट्रल जेल के बाहर छोटी जेल (मंगलमूर्ति लॉन) में रखा जाता है। जेल अधीक्षक अनूप कुमरे का कहना है कि, बाहर से आए कैदियों या आरोपियों को सेंट्रल जेल के अंदर सीधा प्रवेश नहीं दिया जाता है। उन्हें जेल के भीतर कैदियों के बीच करीब सवा माह बाद रखा जाता है तब तक उन्हें छोटी जेल से लेकर जेल के अंदर तीन होम क्वारेंटाइन सेंटर में रखा जाता है। सेंटर से निकलने के बाद उन्हें अलग कमरे में रखा जाता है। उपरांत  उनकी कोरोना जांच की जाती है, तब उन्हें जेल के भीतर कैदियों के बैरक में रखा जाता है। जेल में बढ़ते कोरोना संक्रमण के समय से यह प्रक्रिया शुरू है। किसी भी आरोपी या कैदी को  आरोपी सेल के अधिकारी-कर्मचारी उन्हें  न्यायालय में पेशी के लिए लेकर जाते हैं। ऐसे में आरोपी सेल के अधिकारियों-कर्मचारियों की जिम्मेदारी बनती है कि, वहीं उनकी कोरोना जांच कराते हैं।

प्रथम चरण
35-40 कैदियों को एकसाथ रखने की क्षमता

न्यायालय में पेश आरोपी या कैदी को सेंट्रल जेल में भेजने का आदेश मिलने पर उसकी कोरोना जांच हुई या नहीं, इस बारे में पूछताछ की जाती है। कोरोना जांच के बाद ही बाहरी कैदी या आरोपी को छोटी जेल में रखा जाता है। इस जेल में 35 से 40 कैदियों को एक साथ रखने की क्षमता है। छोटी जेल से करीब दो सप्ताह के बाद जेल के अंदर प्रवेश िदया जाता है। 

दूसरा चरण
जेल में प्रवेश देने के बाद  कैदी या आरोपी को बैरक में नहीं भेजा जाता है। उसे जेल के अंदर बने 3 क्वारेंटाइन सेंटर में 10 से 14 दिन तक रखा जाता है। इस दौरान उसके स्वास्थ्य की जांच की जाती है।

तीसरा चरण 
जेल के अंदर बने क्वारेंटाइन सेंटर से  जांच के बाद कैदी या आरोपी को सीधा बैरक में नहीं भेजा जाता है। उसे एक अलग कमरे में करीब 7 से 10 दिन तक रखा जाता है। उसके बाद उसकी कोरोना जांच की जाती है। कोरोना जांच निगेटिव आने पर उसे कैदियों के बैरक में भेजा जाता है।

छोटी जेल में देख-रेख की जिम्मेदारी हमारी 
हां यह बात सही है कि, सेंट्रल जेल के बाहर बनी छोटी जेल में आने के बाद कैदी की सुरक्षा की जिम्मेदारी जेल प्रशासन की हो जाती है। करीब सवा माह बाद उसे जेल के बैरक में भेजा जाता है। जिस तरह कोरोना संक्रमण बढ़ रहा है। उसे देखते ही जेल प्रशासन अपने कर्मचारियों और कैदियों की सुरक्षा को लेकर बेहद सतर्क है।  -अनूप कुमरे, अधीक्षक, सेंट्रल जेल, नागपुर

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