स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट बना सिरदर्द, डिमांड नोट ने बढ़ाई परेशानी

स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट बना सिरदर्द, डिमांड नोट ने बढ़ाई परेशानी

Anita Peddulwar
Update: 2019-01-29 06:12 GMT
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट बना सिरदर्द, डिमांड नोट ने बढ़ाई परेशानी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। पूर्व नागपुर की अविकसित बस्तियों के विकास के लिए सरकार ने विशेष योजना बनाई है। परिवहन मंत्री नितीन गडकरी के सहयोग से क्षेत्र विकास का प्लान बनाया गया है। 2 फरवरी को इस योजना का भूमिपूजन भी किया जाएगा,परंतु योजना को लेकर विरोध व असंतोष सामने आने लगा है। पहले कहा जा रहा था कि योजना प्रारूप ही गलत तरीके से बनाया जा रहा है। अब कहा जा रहा है कि विकास के नाम पर लाखों का डिमांड नोट भेजा जा रहा है। स्थिति यह है कि एक एकड़ जमीन एक करोड़ की है, तो उसमें से 40 प्रतिशत जमीन सरकार अपने कब्जे में ले रही है। शेष जमीन में विकास के एवज में 25 से 30 लाख रुपए का डिमांड मांगा जा रहा है। अपने हिस्से की जमीन में से लगभग आधी जमीन सरकार को देने के बाद भी लाखों रुपए का डिमांड भरने की मजबूरी के चलते कई नागरिक परेशान हैं।

ऐसा है मामला
गौरतलब है कि भरतवाड़ा, पुनापुर, पारडी व भांडेवाडी गांवों को स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में शामिल किया गया है। विविध स्तर पर जनसुनवाई के बाद प्रोजेक्ट को मंजूर किया गया है। प्रोजेक्ट को लेकर परेशानियों का सामना कर रहे नागरिकों का कहना है कि स्मार्ट सिटी के लिए चुने गए ले-आउट में लगभग 100 प्रतिशत मकान बन चुके हैं। निजी संस्था चालकों ने इन भागों में 500 से 600 फीट के ले-आउट काटकर प्लॉट बेचे हैं। विकास कार्य के लिए जमीन आरक्षित की गई, जहां 100 प्रतिशत मकान व व्यावसायिक दुकानें बन चुकी हैं। 40 फीट, 60 फीट व 100 फीट के प्रस्तावित रोड के लिए सैकड़ों मकान व दुकान तोड़ने के नोटिस भेजे जा रहे हैं। नोटिस में दर्शाया गया है कि 40 प्रतिशत जमीन स्मार्ट सिटी के लिए गठित विभाग लेगी, और 60 प्रतिशत जमीन पीड़ित को दूसरी जगह हस्तांतरित की जाएगी। 60 प्रतिशत विकसित जमीन का हकदार बनने के लिए लाखों का डिमांड भेजा जा रहा है। फिलहाल 5 फरवरी तक डिमांड भरने को कहा जा रहा है। इस मामले को लेकर नागरिक परेशान हैं।

गलतफहमी फैलाने का प्रयास
इस मामले में स्मार्ट सिटी प्रकल्प प्रमुख रामनाथ सोनवणे का कहना है कि प्रोजेक्ट को लेकर गलतफहमी फैलाई जा रही है। डिमांड नोटिस को लेकर जो निर्धारण किया गया है, उसे समझने की आवश्यकता है। एक संपत्ति में 10 से अधिक भागीदार भी है। ऐसे में संपत्ति के मुखिया के नाम डिमांड नोटिस भेजा गया है वह वास्तव में 10 हिस्सों में बंट जाएगा। सुनवाई के बाद भी डिमांड वसूल किया जाएगा।  

रद्द होगा नोटिस

पूर्व नागपुर के विधायक कृष्णा खोपड़े ने कहा, "स्मार्ट सिटी प्रकल्प में अधिग्रहीत 60 प्रतिशत जमीन के विकास के एवज में डिमांड संबंधी नोटिस गैर-जिम्मेदार है। इस संबंध में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से चर्चा की गई है। नोटिस पर पुनर्विचार किया जाएगा। रकम वसूली रद्द होगी। सीएम फडणवीस ने आश्वस्त किया है कि 40 प्रतिशत जगह में स्मार्ट सिटी अंतर्गत विकास का लाभ मिलेगा।"

ठेकेदार को लाभ

पूर्व नागपुर के शिवसेना अध्यक्ष गुड्डू यशवंत राहंगडाले ने कहा कि स्मार्ट सिटी योजना के लिए अधिगृहीत जमीन को पहले डीपीआर में आरक्षित बताया गया। लोगों ने डर के कारण जमीन बेच दी। प्रभावशाली नेताओं के करीबियों ने सस्ते में जमीन खरीद ली, बाद में उसी जमीन को आरक्षणमुक्त करा लिया गया। पुनापुर में 40 एकड़ जमीन के नियोजन में एक कंपनी ठेकेदार को लाभ पहुंचाया गया है। राजनीति में सीधे तौर पर प्रभाव रखनेवाले उस ठेकेदार को स्थानीय नेताओं का सहयोग मिल रहा है। भू-माफिया सक्रिय है। पूरे प्रकरण को लेकर शिवसेना आंदोलन करेगी। 

लोगों को गुमराह किया जा रहा

राकांपा नेता दुनेश्वर पेठे ने कहा, "पूर्व नागपुर में विकास योजना को स्मार्ट सिटी प्रकल्प कहना ही गलत है। स्मार्ट सिटी प्रकल्प तो 35 लाख से अधिक जनसंख्यावाले शहर के लिए होता है। यहां जो कुछ हो रहा है उसे स्मार्ट एरिया प्रकल्प कहा जा सकता है। पूरे प्रकल्प के नियोजन के लिए प्रशासनिक टीम ही नहीं है। लोगों को गुमराह करते हुए डिमांड भेजा जा रहा है। सत्ताधारी भाजपा ने एक तरह से भय का वातावरण बना दिया है।" 

 

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