मेलघाट में कुपोषण से होने वाली मौतों को रोकने टीम करेगी अध्ययन

मेलघाट में कुपोषण से होने वाली मौतों को रोकने टीम करेगी अध्ययन

Tejinder Singh
Update: 2018-09-25 13:06 GMT
मेलघाट में कुपोषण से होने वाली मौतों को रोकने टीम करेगी अध्ययन

डिजिटल डेस्क, मुंबई। अमरावती के मेलघाट में कुपोषण से होनेवाली मौतों के अध्ययन और इस वजह से होने वाली बच्चों की मृत्यु को रोकने के लिए कितने डाक्टरों व किस तरह के मेडिकल संसाधन की जरुरत है? यह जानने के लिए राज्य सरकार टाटा इस्टीट्युट आफ सोशल साइंस (टिस) की नियुक्ति करेगी। मंगलवार को सरकारी वकील नेहा भिडे व सार्वजनिक स्वास्थय विभाग के प्रधान सचिव डा. प्रदीप व्यास ने बांबे हाईकोर्ट को यह जानकारी दी है। इससे पहले सरकारी वकील ने न्यायमूर्ति अभय ओक व न्यायमूर्ति एमएस सोनक की बेंच के सामने कहा कि मेलघाट में बच्चों के तीन और तीन स्त्री रोग विशेषज्ञों की अतिरिक्त नियुक्ति की गई है।

यहां पहले से बच्चों के तीन और दो स्त्री रोग विशेषज्ञ चिकित्सक तैनात थे। मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद बेंच ने पाया कि स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में पिछले कई वर्षों में काफी संख्या में बच्चों व महिलाओं की मौत हुई है लेकिन इस पहलू को लेकर कोई वैज्ञानिक अध्ययन नहीं किया गया है। जिससे यह पता चल सके कि वहां पर कितने डाक्टरों की जरुरत है। साथ ही डाक्टरों को काम करने के लिए किस तरह के संसाधन चाहिए। बेंच ने इस विषय पर विशेषज्ञ एजेंसी से अध्ययन कराने का सुझाव दिया था और इस मामले में सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को कोर्ट में तलब किया था। कोर्ट के निर्देश के तहत प्रधान सचिव प्रदीप व्यास मंगलवार को कोर्ट में हाजिर हुए।

 डॉक्टरों व संसाधनों की जरूरत का भी होगा आकलन
सुनवाई के दौरान बेंच ने पूछा कि मेलघाट इलाके में कितनी प्रयोगशलाएं है और वहां पर काम करनेवाले डाक्टरों को प्रोत्साहन देने के लिए क्या अतिरिक्त चीजे दी जाती हैं? उन्हें किस तरह का आवास उपलब्ध कराया जाता है? इस पर श्री व्यास ने कहा कि मेलघाट इलाके में प्रयोगशाला के काम को आउटसोर्स किया गया है वहां पर कितनी प्रयोगशलाएं है इसका आकड़ा उनके पास फिलहाल नहीं है। उन्होंने कहा कि मेलघाट इलाके में लोगों के स्वास्थ्य से जुड़ी दिक्कतों का अध्ययन के लिए विशेष टीम बनाई गई है। यह टीम वहां कि आशा सेविकाओं को प्रशिक्षित करती है। यह टीम नियमित अंतराल पर मेलघाट व अन्य इलाकों का दौरान करती है।

इस दौरान उन्होंने कहा कि हम यूनिसेफ की रिपोर्ट के आधार पर भी काम कर रहे हैं। जहां तक बात डाक्टरों की जरुरत व उन्हें जरुरी संसाधन देने की है तो इसके अध्ययन के लिए सरकार टिस की नियुक्ति के लिए राजी है। इन दलीलों को सुनने के बाद बेंच ने कहा कि अगली सुनवाई के दौरान हमारे समाने इसका मसौदा पेश किया जाए कि टिस किन-किन विषयों पर अध्ययन करेगी। बेंच ने फिलहाल मामले की सुनवाई चार अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दी है।

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