5 नवंबर से होगी विलुप्त होती पक्षियों की प्रजाति की गणना

5 नवंबर से होगी विलुप्त होती पक्षियों की प्रजाति की गणना

Anita Peddulwar
Update: 2020-11-02 10:36 GMT
5 नवंबर से होगी विलुप्त होती पक्षियों की प्रजाति की गणना

डिजिटल डेस्क चंद्रपुर।  चंद्रपुर समेत पूरे राज्य  में 5 नवंबर से पक्षी सप्ताह मनाया जा रहा है। 12 नवंबर तक आयोजित इस सप्ताह में लॉकडाउन के नियमों का पालन कर विविध उपक्रम लिए जाएंगे। पक्षीप्रेमियों के पक्षी निरीक्षण के साथ ही वनविभाग द्वारा जनजागरण आदि उपक्रम इसमें लिए जाएंगे। इस वर्ष यह सप्ताह सावधानी व सतर्कता के साथ मनाए जाने की उम्मीद पक्षीमित्र प्रा. प्रवीण कडू ने जताई है।

पक्षीमित्र कडू ने बताया कि  भारतीय पक्षीशास्त्र के जनक डा. सलीम अली और मराठी साहित्य लेखक पक्षीकोष के जनक मारुति चित्तमपल्ली के जन्मदिवस का संयुक्त औचित्य साध कर यह पक्षी सप्ताह मनाया जाता है। विशेष बात यह है कि पक्षी सप्ताह मनानेवाला महाराष्ट्र देश का पहला राज्य है। राज्य सरकार के इस निर्णय के अनुसार वनविभाग भी इस उपलक्ष्य में विविध उपक्रम लेता है। वन्यजीव छायाचित्रकार निखिल तांबेकर ने बताया कि डा. सलीम अली ने पंछियों का अध्ययन करने के लिए अपना पूरा जीवन बीता दिया। उन्होंने कई किताबें लिखी। पंछियों के बारे में जानकारी के साथ उनके प्रति मनुष्य  में अपनत्व की भावना बढ़ाने का मौलिक काम उन्होंने किया। उनकी किताबें पूरी दुनिया के लिए मार्गदर्शक हैं।12 नवंबर उनका जन्मदिन है, जबकि 5 नवंबर को मारुति चितमपल्ली का जन्मदिन है। इन दोनों महानुभवों के सम्मान में यह सप्ताह मनाया जाता है।  उल्लेेखनीय है कि महाराष्ट्र  पक्षमित्र संगठन  ने 2017 में पक्षी सप्ताह मनाने का आह्वान किया था। उसे राज्य के पक्षी अभ्यासकों ने काफी प्रतिसाद दिया था। इस वर्ष भी पक्षीमित्र इसे नियमानुसार उत्साह से मनाएंगे, ऐसी उम्मीद जताई जा रही है। 

पंछियों को विलुप्त होने से बचाना आवश्यक 

राज्य  मेें लगभग 450 प्रजातियों के पंछी पाए जाते हैं। इनमें से कुछ दुर्लभ तो कुछ अतिदुर्लभ हो रहे हैं। गिधडं, मालढोक जैसे पंछी कुछ वर्ष पूर्व चंद्रपुर जिले में पाए जाते थे। अब हमारी नजरों के सामने ही वे विलुप्त हुए हैं। उन्हें बचाने व संवर्धन के लिए यह सप्ताह जरूरी है। प्रदूषण, पक्षी अधिवास पर बढ़ा अतिक्रमण, शिकार का बढ़ता प्रमाण इस स्थिति में पक्षी व पक्षी अधिवास के बारे में जनजागरण करना आवश्यक है। -प्रा. प्रवीण कडू, पक्षी अध्ययनकर्ता 

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