एसटी बसें : कबाड़ बसों में सफर करने को मजबूर नागरिक

एसटी बसें : कबाड़ बसों में सफर करने को मजबूर नागरिक

Bhaskar Hindi
Update: 2017-12-04 18:22 GMT
एसटी बसें : कबाड़ बसों में सफर करने को मजबूर नागरिक

डिजिटल डेस्क, नागपुर। एसटी बसों से सफर करने वाले यात्रियों को हर साल नई बसों की सुविधा तो मिल रही है, लेकिन राहत नसीब नहीं हो रही है। हर साल यात्रियों के आंकड़े बढ़ने के बाद भी परिवहन महामंडल के पास बसों की संख्या नहीं बढ़ पा रही है। इस कारण यात्री ज्यादा और बसें कम होते जा रही हैं। अधिकृत आंकड़ों के अनुसार प्रति वर्ष विभाग की 50 से 60 बसें भंगार हो जाती हैं। सालभर में इन 60 बसों की जगह पर नई बसें आने का दावा किया जाता है, लेकिन आंकड़ों को टटोलने पर 1 अप्रैल 2016 से 31 मार्च 2017 तक केवल 25 बसें ही नई मिल सकी है।

एसटी बस पर हजारों यात्री निर्भर

शहर से गांव हो या गांव से शहर एसटी बसों पर रोजाना हजारों यात्री निर्भर रहते हैं। महाराष्ट्र में रोजाना 17 हजार 500 बसें विभिन्न क्षेत्र की ओर दौड़ती हैं, जिसमें नागपुर विभाग के जिम्मे 579 बसों की जिम्मेदारी है, लेकिन वर्तमान स्थिति में कई बसें खराब अवस्था में पहुंच गई है। खिड़कियां टूटी होना, बारिश में बसों से पानी टपकना, कम रफ्तार से चलना, चलते वक्त आवाज करना आदि कई समस्याएं इन बसों में देखने को मिल जाएंगी। ऐसे में नई बसों की जरूरत हमेशा बनी रहती है, लेकिन आंकड़ों को देखें तो हर साल भंगार हो रही बस की तुलना में नई बसें बहुत कम मिल रही है। ऐसे में पुरानी बसों से काम चलाया जा रहा है।

बढ़ रहे यात्री, नहीं बढ़ रही बसें

एसटी बसों से नागपुर विभाग अंतर्गत प्रतिदिन 1,64,500 यात्री विविध बसों से विभिन्न क्षेत्र की ओर सफर करते हैं, लेकिन इनकी सुविधा के लिए प्रशासन के पास केवल 579 बसें है। ऐसे में बस नहीं मिलना, बस मिली तो जगह नहीं मिलना आदि समस्याओं से यात्रियों को जूझना पड़ता है। यही नहीं, सीजन व बारिश के समय इन बसों की संख्या यात्रियों के सामने काफी कम लगती है। गत पांच वर्ष पहले नागपुर विभाग में 572 बसें थी, वर्तमान में इसकी संख्या 579 तक ही पहुंच सकी है। हालांकि, यात्रियों की संख्या बहुत ज्यादा बढ़ी है।

कोई भी बस 12 साल पुरानी नहीं है
एसटी परिवहन महामंडल के विभाग नियंत्रक एस. पंचभाई के मुताबिक हर साल कितनी बसें भंगार होती है, इसका स्पष्ट आंकड़ा नहीं है, लेकिन जितनी बसें भंगार होती है, उसकी तुलना में नई बसें मिलती है। ऐसे में यात्रियों को किसी तरह की दिक्कतें नहीं होती है। नियमानुसार कोई भी बस 15 वर्ष तक चलाई जाती है। हमारे विभाग में कोई भी बस 12 वर्ष पुरानी भी नहीं है।
 

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