यूनिवर्सिटी में कुलसचिव पद पर नियुक्ति के लिए शुरू हुई जोर आजमाइश

यूनिवर्सिटी में कुलसचिव पद पर नियुक्ति के लिए शुरू हुई जोर आजमाइश

Anita Peddulwar
Update: 2019-05-16 08:08 GMT
यूनिवर्सिटी में कुलसचिव पद पर नियुक्ति के लिए शुरू हुई जोर आजमाइश

डिजिटल डेस्क, नागपुर। यूनिवर्सिटी में कुलसचिव पद पर नियुक्ति के लिए उम्मीदवारों में जोर आजमाइश शुरू हो गई है। फिलहाल चुनाव आचार संहिता के चलते प्रक्रिया जरा रूकी हुई है, लेकिन विवि आवेदनों की पड़ताल और अन्य जरूरी प्रक्रिया पूरी कर रहा है। 23 मई के बाद आचार संहिता हटते ही साक्षात्कार शुरू होंगे। बता दें कि,  विवि को कुलसचिव पद के लिए 26 उम्मीदवारों के आवेदन प्राप्त हुए हैं। आवेदकों में प्रभारी कुलसचिव डॉ. नीरज खटी, उप-कुलसचिव डॉ. अनिल हिरेखण और डॉ. आंबेडकर कॉलेज के उप-प्राचार्य डॉ. ए.पी. जोशी, कोराड़ी के कला वाणिज्य विज्ञान महाविद्यालया के डॉ. संजय दुधे, जे.डी. अभियांत्रिकी महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. सुभाष चौधरी, संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलसचिव डॉ. अरविंद जोशी, जवाहरलाल नेहरू कॉलेज के प्राचार्य डॉ. जीवन दोंतुलवार का नाम शामिल है। इसमें डॉ. दुधे, डॉ. जोशी और दोंतुलवार, जो भाजपा और शिक्षण मंच के करीबी हैं, का नाम चर्चा में है। ऐसे में एक ही खेमे के तीन उम्मीदवार कुलसचिव पद के लिए जोर-आजमाइश में लगे हुए हैं। 

प्रक्रिया नागपुर खंडपीठ के अधीन होगी
उल्लेखनीय है कि, यूनिवर्सिटी में इस पद को लेकर भारी घमासान और खींचतान मची हुई है। पूर्व कुलसचिव डॉ. पूरणचंद्र मेश्राम ने अपनी सेवानिवृत्ति रोकने के भरसक प्रयास किए, लेकिन हाईकोर्ट में अब भी विचाराधीन याचिका पर कोर्ट ने उनकी सेवानिवृत्ति रोकने के आदेश जारी नहीं किए। 30 जून को उनके सेवानिवृत्त होने के बाद अन्य अधिकारियों ने प्रभार सौंपे जाने के लिए खूब प्रयास किए। अंतत: कुलगुरु डॉ. सिद्धार्थ विनायक काणे ने परीक्षा नियंत्रक डॉ. नीरज खटी को पद का प्रभार सौंपा। इससे नाराज उप-कुलसचिव डॉ. अनिल हिरेखण ने पहले अनुसूचित जाति-जनजाति आयोग की शरण ली, जहां आयोग ने उन्हें प्रभार सौंपने की सिफारिश की। इसके बाद अन्य प्रणित संगठनों ने भी डॉ. हिरेखण काे प्रभार सौंपने का पक्ष लिया, लेकिन कुलगुरु डॉ. काणे ने डॉ. हिरेखण को पद के लिए कम अनुभवी होने की बात कह कर अपना फैसला कायम रखा। अंतत: विवादों को रोकने के लिए इस पद पर स्थायी नियुक्ति करने का निर्णय लिया गया है। अपने विज्ञापन में विवि ने स्पष्ट किया है कि, यह प्रक्रिया नागपुर खंडपीठ के आदेश के अधीन रहेगी।

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