मिट्‌टी से सुंदर कलाकृतियां बनाने वालों पर भुखमरी की नौबत

मिट्‌टी से सुंदर कलाकृतियां बनाने वालों पर भुखमरी की नौबत

Anita Peddulwar
Update: 2020-07-06 06:23 GMT
मिट्‌टी से सुंदर कलाकृतियां बनाने वालों पर भुखमरी की नौबत

डिजिटल डेस्क, नागपुर। नागपुर से करीब 23 किलोमीटर दूर हिंगना तहसील के पेठ और व्याहाड़ गांव के मिट्टी कलाकारों की आर्थिक स्थिति अनलॉक-1 में मिली रियायत के बाद भी नहीं बदल पाए। कोरोनाकाल में लॉकडाउन के कारण रोजी-रोटी छिन गई। अब हालात ऐसे बन गए कि गुजारा करना भी मुश्किल होने लगा है। आने वाले दिनों में हालात सुधरने की उम्मीद भी नजर नहीं आ रही। 

500 से ज्यादा कलाकार प्रभावित
पेठ गांव में कलाकारों के 30 और व्याहाड़ में 27 परिवार हैं। इन परिवारों के कारोबार से सीधे तौर पर 500 से ज्यादा लोग जुड़े हैं। लॉकडाउन से उभरे हालात ने सबको बेरोजगार कर दिया है।

जुर्माने के खौफ से काम छूटा
यहां मिट्टी से बनी कलाकृतियों की मांग मुंबई, दिल्ली, जयपुर, बंगलुरु, अहमदाबाद जैसे शहरों तक है। अब हर हाथ खाली है और गोदाम माल से भरा पड़ा है। कारोबारियों ने बताया कि लाॅकडाउन में जिन कलाकारों ने हिम्मत दिखाई, उन पर 2-2 हजार का जुर्माना लगाया गया। डर के मारे सबने काम छोड़ दिया था। अब छूट मिलने के बावजूद स्थानीय बाजारों में न खरीदार हैं, न ही उचित दाम।

देश के बड़े-बड़े शहरों तक भेजा जाता है माल
पेठ और व्याहाड़ में कुल्हड़, थाली, कटोरी, ग्लास, शोकेस की वस्तुएं, मटके, दीये, मूर्तियां आदि तैयार होते हैं। अगर सिर्फ दीये की बात करें तो सैकड़ों डिजाइन बनाई जाती है। इसके अलावा मूर्तियां और शोकेस के तो क्या कहने। इन सामग्रियों को देश के बड़े-बड़े शहरों तक भेजा जाता है। बाकायदा ऑनलाइन बुकिंग भी होती है। पेठ और व्याहाड़ दोनों गांव माटी के कलाकारों के नाम से जाने जाते हैं। इन दोनों गांवों में क्रमश: 180 और 200 मकान हैं। पेठ की आबादी 1200 और व्याहाड़ की 1500 है। सारी दुश्वारियों के बावजूद इस गांव के लोगों ने मिट्टी की कलाकृति बनाने में अलग पहचान बनाई है। 

कम नहीं हैं दुश्वारियां
 पेठ और व्याहाड़ गांव की परेशानी कम नहीं हो रही हैं। सरकारी स्तर पर मिट्टी उपलब्ध कराने की कोई व्यवस्था नहीं है। ऐसे में यहां के कलाकार जंगल या तालाब से मिट्टी लेते हैं। इसके लिए उन्हें एक ट्रैक्टर मिट्टी के बदले 3-5 हजार रुपए का भुगतान करना पड़ता है। मजदूरों को गांव से पकड़कर क्वारेंटाइन सेंटर में बंद कर दिया गया। रही-सही कसर जुर्माना लगाकर पूरी कर दी गई। मजदूर आज तक लौटे नहीं हैं।

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