ईंधन मूल्यवृद्धि के लिए राज्यों के टैक्स भी जिम्मेदार -प्रभु

ईंधन मूल्यवृद्धि के लिए राज्यों के टैक्स भी जिम्मेदार -प्रभु

Anita Peddulwar
Update: 2021-02-20 09:27 GMT
ईंधन मूल्यवृद्धि के लिए राज्यों के टैक्स भी जिम्मेदार -प्रभु

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु ने माना है कि पेट्रोल-डीजल मूल्य वृद्धि  मामले में अड़चन दूर करने की जरूरत है। विश्व बाजार पर ईंधन का भाव निर्भर रहता है। उन्होंने इस मामले में केंद्र के साथ राज्य सरकारों को समन्वय के साथ काम करने का आह्वान करते हुए कहा कि ईंधन के भाव बढ़ने में राज्य सरकार के टैक्स भी जिम्मेदार हैं। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किए गए बजट पर चर्चा चल रही है। इसी बजट को लेकर भाजपा के बड़े नेता देश भर में संवाद साध रहे हैं। इस सिलसिले में सुरेश प्रभु ने पत्रकार वार्ता में वित्तीय स्थिति पर चर्चा की। उन्होंने दावा किया कि आगामी समय में भारत आत्मनिर्भर होगा। 

निजीकरण से आर्थिक व्यवस्था को बल
प्रभु ने कहा कि निजीकरण से आर्थिक व्यवस्था को बल मिलता है। हाथ पैर बांधकर रेस कैसे जीत सकते हैं। लाभ में काम कर रहे उद्योगों को अधिक बल देने व अनावश्यक पाबंदियां दूर करने की आवश्यकता है। सार्वजनिक उपक्रम के निजीकरण की सूची तैयार की जा रही है। 6-7 दशक पहले निजी क्षेत्र में निवेश की स्थिति नहीं थी। पहले सार्वजनिक उपक्रम की तुलना में निजी क्षेत्र का उल्लेखनीय कार्य रहा। स्टील अथाॅरिटी ऑफ इंडिया से अधिक लोहे का उत्पादन निजी कंपनियां कर रही हैं। बिजली निर्माण के संबंध में भी ऐसी ही स्थिति है। 

प्रश्न से किनारा कर गए प्रभु
शिवसेना के रहे प्रभु से महाविकास आघाड़ी  सरकार व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के कामकाज के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि शिवसेना प्रमुख बालासाहब ठाकरे होते, तो वे ही इस मामले में उत्तर देते। पत्रकार वार्ता में राज्यसभा सदस्य डॉ. विकास महात्मे, भाजपा के शहर अध्यक्ष प्रवीण दटके, विधान परिषद सदस्य गिरीश व्यास, प्रदेश प्रवक्ता चंदन गोस्वामी, मिलिंद कानडे, योगेश बन, जयप्रकाश पारेख, आशीष मुकीम सहित अन्य पदाधिकारी थे। 

बुनियादी सेवाओं पर जोर
सुरेश प्रभु ने कहा कि केंद्र सरकार ने बजट के माध्यम से बुनियादी सेवाओं पर जोर दिया है। देश में 70 प्रतिशत ईंधन आयात किया जाता है। बुनियादी सेवाओं, स्वास्थ्य व शिक्षा आदि के लिए निधि की आवश्यकता होती है। यह निधि केंद्र के ‘कर’ के माध्यम से उपलब्ध होती है। ईंधन ‘कर’ जीएसटी के अंतर्गत नहीं है। केंद्र व राज्य सरकार के स्वतंत्र ‘कर’ है। ईंधन के मामले में केंद्र व राज्य सरकार ने एकत्र होकर काम करना चाहिए। बैंकिंग व्यवस्था आर्थिक व्यवस्था का मुख्य आधार है। बैंकिंग व्यवस्था में सुधार का प्रयास किया जा रहा है। देश के एक क्षेत्र में अतिवृष्टि तो दूसरे क्षेत्र में सूखे की स्थिति आज भी है। 
 

Tags:    

Similar News