हर घर में बनती है मूर्तियां, बचपन से ही नन्हें हाथ करने लगते हैं साकार

हर घर में बनती है मूर्तियां, बचपन से ही नन्हें हाथ करने लगते हैं साकार

Anita Peddulwar
Update: 2020-11-13 07:11 GMT
हर घर में बनती है मूर्तियां, बचपन से ही नन्हें हाथ करने लगते हैं साकार

डिजिटल डेस्क, नागपुर। दिवाली के त्योहार पर लक्ष्मी-गणेश जी की पूजा की जाती है। लक्ष्मी माता को सुशोभित करने का काम कुम्हारपुरा की "लक्ष्मियां" कर रही हैं। कुम्हारपुरा में 30-35 परिवार हैं। हर घर में लगभग 1500 गणेश और 2000 लक्ष्मी जी की मूर्तियां बनाती हैं। इसमें खास बात यह है कि मां लक्ष्मी की मूर्ति बनाने में महिलाओं की खास रुचि है। इन परिवारों की बेटियां बचपन से ही मूर्ति बनाने के काम में जुट जाती हैं।

छोटी उम्र से ही बन जाती हैं कलाकार
हमारे परिवार में मूर्ति बनाने का पुश्तैनी कारोेबार है। जब से मेरी शादी हुई, तब से मैं भी मूर्ति बनाने के कारोबार में जुट गई। कोरोना के कारण पहली बार ऐसा हुआ है कि कम मूर्तियां बनी हैं। दिवाली पर घर की महिलाओं ने मां लक्ष्मी की मूर्तियां बनाई हैं। इसमें हमारी बच्ची खुशी भी साथ देती है। घर के बच्चे परिवार के अन्य सदस्यों को काम करते देखते हैं और सीख जाते हैं। 6 से 12 इंच तक की मूर्तियां हमलोग बनाते हैं। जब मूर्ति बनकर तैयार होती है, तब बहुत खुशी होती है।   -रीता प्रजापति, मूर्तिकार

कोई हाथ से, तो कोई सांचे से तैयार करता है
वैसे तो हमारी कोशिश होती है कि हाथ से ही मूर्ति तैयार करें। कई बार समय कम होने से मूर्ति के सांचे से भी मूर्तियां तैयार करते हैं। कुम्हरापुरा के हर परिवार की महिलाएं मूर्तियां बनाती हैं। दशहरा के समय मां दुर्गा की बड़ी-बड़ी मूर्तियां भी बनाते हैं। इस वर्ष दशहरा में ज्यादा मूर्तियां नहीं थीं। साथ ही, उनका साइज भी छोटा था। हम मिट्टी की ही मूर्तियां बनाते हैं। हमारे परिवार की छोटी बच्चियां भी मूर्ति बनाने में साथ देती हैं, लेकिन हम उन्हें इसके लिए जबरदस्ती नहीं करते है। ज्यादा से ज्यादा ध्यान उनकी पढ़ाई में देते हैं। दीवाली के लिए मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की मूर्तियां बनकर तैयार हो गई हैं। लगभग हर घर में गणेश-लक्ष्मी जी की पूजा होती है। इस वर्ष कोरोना के चलते छोटी मूर्तियों पर फोकस किया है।    -श्यामा प्रजापति, मूर्तिकार
 

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